पाठ 24
अपनी राहें आप बनाओ
- दुष्यंत कुमार
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शब्दार्थ
चित्त = मन
अभिमान = घमंड
गौरव = बड़प्पन, महत्व
ध्येय = लक्ष्य, उद्देश्य
परोपकार = दूसरों की भलाई
1.सबका आदर करना सीखो ।
खेलो-कूदो खूब किन्तु कुछ,
पढ़ने में भी चित्त लगाओ।
मत खोजो पद चिन्ह किसी के
अपनी राहें आप बनाओ।
पथ के काँटो पर, फूलों पर
सँभल-संभल पग रखना सीखो।
संदर्भ= प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक 'सुगम भारती' भाग 7 के पाठ 24 अपनी राहें आप बनाओ से ली गई है। इसके रचयिता दुष्यंत कुमार हैं।
प्रसंग = इसमे बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने के लिए कहा गया है।
व्याख्या = कवि बच्चों को समझाते हुए कहते है कि तुम्हें सभी लोगों का आदर करना चाहिए ।खेलना कूदना बहुत अच्छी बात है परंतु पढ़ाई में भी उतना ही मन लगाना चाहिए ।किसी भी सफलता के कारणों के पीछे मत भागो बल्कि अपनी पहचान स्वयं बनाओ। जीवन मे बुराइयों और अच्छाइयों दोनो का सामना करना पड़ता है।तुम्हे हमेशा अच्छाइयों के रास्ते को चुनना चाहिए।
2.कभी भूलकर भी तो अपनी,
उन्नति में अभियान करो मत ।
नम्र बनो अपने ही मुँह से,
अपना गौरव गान जरो मत।
परोपकार के कार्य करो मत
पर पापों से डरना सीखो।
संदर्भ = पूर्ववत
प्रसंग = इसमें बच्चों को घमंडी न बनने का संदेश दिया गया है।
व्याख्या = कवि ने आगे बच्चों से कहा है कि मन लगा कर जीवन मे जो कुछ भी तुम हासिल करते हो, उस पर कभी घमंड मत करो। सबके साथ विनम्र बनो परन्तु अपने मुँह से कभी अपनी तारीफ मत करो। जीवन मे पापों और बुरे कामो से दूर रहकर सर्वदा भलाई के काम करो।
3. बिना ध्येय के पथ पर अपने,
दो क्षण रुकना ठीक नहीं है।
विपत्तियाँ आती हैं लेकिन,
उनमें झुकना ठीक नहीं है।
निज अधिकारों की रक्षा में,
हँसते हँसते मरना सीखें।
संदर्भ = पूर्ववत
प्रसंग = इसमें बच्चों को आगे रहने पर बल दिया गया है।
व्याख्या= कवि ने बच्चों को समझाते हुए कहा है कि जिस रास्ते पर कोई उद्देश्य न हो, उस और अपना समय नही गवाना चाहिए। जिंदगी में कठिनाई और परेशानी तो आती ही रहती है किंतु कभी उनसे घबराना नहीं चाहिए और ना ही किसी कमजोरी के आगे झुकना चाहिए। अपने अधिकारों और कर्तव्यों के लिए सदैव अग्रसर रहना चाहिए।
प्रश्न 1. (क) सही जोड़ी बनाइए-
1 उन्नति में - गान करो मत
2 अपना गौरव - आप बनाओ
3 पढ़ने में भी - अभिमान करो मत
4. अपनी राहें - चित्त लगाओ
उत्तर = 1. अभिमान करो मत
2. गान करो मत
3. चित्त लगाओ मत
4. आप बनाओ
(ख) दिए गए शब्दों में से सही शब्द चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. दो क्षण ----------- ठीक नहीं है। (रुकना/चलना)
2. हंसते-हंसते-------- सीखो। (मरना/जीना)
3. संभल संभल-------- धरना सीखो। (कर/पग)
उत्तर= 1. रुकना
2. मरना
3. पग
प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रश्नों के एक-एक वाक्य में उत्तर लिखिए-
(क) कवि के अनुसार हमे किसमे चित्त लगाना चाहिए?
उत्तर= कवि के अनुसार हमें पढ़ाई में भी चित्त लगाना चाहिए।
(ख) उन्नति होने पर मन में कौन सा भाव नहीं आना चाहिए?
उत्तर= उन्नति होने पर मन में अभिमान नहीं आना चाहिए।
(ग) कवि ने हमें किस स्थिति में झुकने की सीख दी है?
उत्तर= कवि ने हमें विपत्तियों के समय नहीं झुकने की सीख दी है।
(घ) कविता में हमें कहाँ रुकने की सलाह दी है?
उत्तर= बिना ध्येय के पथ पर दो क्षण भी रुकना ठीक नहीं है।
प्रश्न 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन से पाँच वाक्य में लिखिए
(क) कविता में हमें कहाँ-कहाँ संभल कर पग रखने की समझाइश दी गई है?
उत्तर =कवि ने बच्चों को समझाया है कि जीवन के रास्ते पर अनेक कठिनाइयाँ तथा परेशानियाँ उत्पन्न होंगी, और कभी तुम्हें कई तरह के लालच मिलेंगे। परंतु तुम संभालना और ध्यान पूर्वक इनमे से ठीक रास्ते का चुनाव करना अर्थात अपने पग ध्यान से रखना।
(ख) कवि ने अपना गौरव गान न करने के लिए क्यों कहा है?
उत्तर= कवि ने बच्चों से विशेषतः कहा है कि अपने जीवन मे चाहे जितनी भी उन्नति करो परंतु अपनी तारीफ अपनें मुँह से कभी नहीं करना। इससे अभिमान उतपन्न होने का खतरा रहता है।
(ग) "अपनी रहें आप बनाओ " का तात्पर्य है?
उत्तर ="अपनी रहें आप बनाओ " से कवि का तात्पर्य यह है कि बच्चों को अपने जीवन का लक्ष्य स्वयं निर्धारित करना चाहिए अर्थात हमें दूसरों से होड़ नहीं करनी चाहिए क्योंकि सभी लोगों की स्थितियाँ भिन्न-भिन्न होती हैं।
(घ) पाप कर्म करने से हमें क्यों डरना चाहिए?
उत्तर = कवि ने कहा है कि जीवन का लक्ष्य पूर्ण करने के लिए हमें सत्कर्म और सच्चे रास्ते को अपनाना चाहिए।
इसके विपरीत यदि हम पाप कर्म को अपनाते हैं तो अवश्य भ्रष्ट हो जाता है। इसलिए हमें बुराइयों और गलत कार्यों से डरना चाहिए