पाठ 8
उत्साह
-भवानीप्रसाद मिश्र

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शब्दार्थ
लहरों में = जीवन के उतार चढ़ाव मेंलपटों में= जीवन में आने वाले कष्टों की ज्वालाओं मेंफिसड्डी = पीछे रहने वालेकिसी का दिया दूध पीते रहे= दी हुई सहायता या कर्ज से पलते रहेशर्मिंदगी =शर्म की बातउबलते चलो = उत्साह या जोश पूर्वक चलते चलोमहूरत = शुभ-समयबैठा रहने की सूरत=रूककर बैठे रह जाने की स्थिति या काम बन्द कर देने की दशामचलते चलो= जिद करके अपनी धुन में बढ़े चलोबड़े शेर= बहुत शक्तिशालीख्याल में डूबना =विचारों में खो जानालीक = परम्पराभाग = भाग्य
1 चलते चलो----------------चलते चलो।
सन्दर्भ- प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक 'सुगम भारती' (हिंदी सामान्य) भाग-7 के पाठ-8 'उत्साह' से ली गई है। इसके रचयिता भवानीप्रसाद मिश्र हैं।
प्रसंग- इन पंक्तियों में कवि ने शर्मिंदगी की जिंदगी को छोड़ आगे बढ़ने का उत्साह दिया है।
व्याख्या- कवि कहता है कि हमें कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी आगे बढ़ते रहना चाहिए। सैकड़ों सालों से हम रूढ़िवादी और फिसड्डी बने रहे हैं। हमने कभी भी आत्मनिर्भरता प्राप्त नहीं की। यह हमारे लिए बड़े शर्म की बात है। हमें सारे विश्व के साथ आगे बढ़ना चाहिए।अब हमें आलस्य को त्याग कर अपने अंदर एक उत्साह पैदा करना चाहिए और उस उत्साह में हम बढ़ते चले जाएँ।
2 भला यात्रा------------- पलते चलो।
सन्दर्भ- पूर्ववत।
प्रसंग - इसमे कवि ने कहा है कि इतिहास की सफलता पर ही खुश न होकर वर्तमान में भी आगे बढ़ना चाहिए।
व्याख्या - कवि के अनुसार समय कभी किसी के लिए रुकता नही है जो उसके साथ चलते हैं वही कामयाब रहते हैं।रुकने का कारण मत ढूंढो,बल्कि आगे बढ़ते चलो।किसी जमाने में हम सर्वश्रेष्ठ थे, किंतु उस बीती सफलता को सोच-सोच कर खुश नहीं होना चाहिए। जीवन वर्तमान संघर्ष पर विद्यमान रहता है।सारा संसार विकास कर रहा है और हम दर्शक बने मात्र देख रहे हैं।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1• (क) सही जोड़ी बनाइए-
1 बुरी महूरत
2 बड़ी शेर
3 बड़े जिंदगी
4 यात्रा शर्मिंदगी
(ख) दिए गए शब्दों में से उपयुक्त शब्द चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
★ फिसड्डी रहे और जीते रहे। किसी का दिया दूध पीते रहे। (दूध/पानी)
★ भला यात्रा का महूरत भी है।(जरूरत/महूरत)
★ कभी तुम बड़े शेर ये ठीक है।(शेर/सियार)
★ जरा भाग अपना बदलते चलो।(मार्ग/भाग)
अति लघु उत्तरीय प्रश्न -
2• निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में लिखिए-
(क) उत्साह कविता में फिसड्डी रहने का क्या अर्थ है?
उत्तर- इस कविता में फिसड्डी रहने का अर्थ है "हर कार्य में पीछे रहना"।
(ख) कवि के अनुसार उत्साह की आवश्यकता क्यों है?
उत्तर- कवि के अनुसार जीवन में किसी भी कार्य में उन्नति करने के लिए उत्साह की आवश्यकता होती है।
(ग) दूसरों के सहारे जीने का भाव कविता की कौन सी पंक्ति में आया है?
उत्तर- दूसरों के सहारे जीने का भाव कविता की 'किसी का दिया दूध पीते रहे ' पंक्ति से लिया गया है।
(घ) हमें मुहूर्त की प्रतीक्षा में रुककर क्यों नहीं बैठना चाहिए?
उत्तर- हमें मुहूर्त की प्रतिक्षा में रुककर इसलिए नहीं बैठना चाहिए क्योंकि समय कभी किसी के लिए रुकता नहीं है।
(ङ) क्या अपने अतिता पर करते रहना उचित है?
उत्तर- हमें मात्र अपने अतीत के गौरव का मान करते रहना नहीं चाहिए, बल्कि जीवन में आगे बढ़ते रहना चाहिए।
लघु उत्तरीय प्रश्र
3• निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर कम से कम तीन वाक्यों में लिखिए-
(क) व्यक्ति को जीवन में सफल होने के लिए क्या आवश्यक है?
उत्तर- व्यक्ति को जीवन में सफल होने के लिए दृढ़ निश्चय और कड़ी मेहनत की तो आवश्यकता होती ही है, किंतु सफलता में निश्चयता लाने के लिए उत्साह की जरूरत होती है।
(ख) कवि के अनुसार बुरी जिन्दगी कौन सी है?
उत्तर- जीवन के प्रत्येक कार्य में फिसड्डी बने रहना तथा हमेशा दूसरों के दया-धर्म पर जिंदा रहना, कवि ने ऐसी जिंदगी को सबसे बुरी माना है।
(ग) शर्मिन्दगी से बचने के लिए हमें क्या करना चाहिए?
उत्तर- शर्मिन्दगी से बचने के लिए हमें आत्म-निर्भर तथा मेहनती बनना चाहिए।हमें कदापि दूसरों के टुकड़ों पर नहीं पलना चाहिए।यदि हमें पूर्ण विकास करना है तो निरन्तर आगे बढ़ते रहना चाहिए।
(घ) हम 'बड़े शेर'कब थे और कैसे?
उत्तर- प्राचीन काल में भारत प्रत्येक क्षेत्र जैसे साहित्य, व्यापार, चिकित्सा तथा कला आदि में सर्वश्रेष्ठ था।इसलिए हम कहते हैं कि हम कभी शेर थे।किंतु हमें यह सोचकर हमेशा खुश नहीं रहना चाहिए बल्कि अपने वर्तमान को सुधारने के लिए आगे बढ़ते रहना चाहिए।
(ङ) उत्साह कविता का मूल-भाव क्या है?संक्षेप में लिखिए।
उत्तर- कवि कविता के माध्यम से हम सबको संदेश देते है कि हमें अपने आलस्य को त्याग कर तथा दूसरों पर निर्भरता छोड़ कर स्वयं की मेहनत और कर्म पर विश्वास करना चाहिए।कभी हम सोने की चिड़िया कहलाते थे, यह सोचकर हमेशा खुश नहीं होते रहना चाहिए बल्कि हमें वर्तमान की मेहनत और लगन पर भरोसा करना चाहिए
भाषा की बात
4• निम्नलिखित शब्दों में शुद्ध वर्तनी वाले शब्दों को गोला लगाइए-
उत्तर-(फिसड्डी), फ़सड्डी, फिसीड्डी
खियाल, (ख्याल), खयाल
शर्मदगी ,सर्मिदगी ,(शर्मिंदगी)
5• निम्नलिखित शब्दों के तत्सम रुप लिखिए-
महूरत, दूध, जात्रा, भाग
उत्तर- शब्द तत्सम रूप
महूरत मुहूर्त
दूध दुग्ध
जात्रा यात्रा
भाग भाग्य
6• निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखकर वाक्यों में प्रयोग कीजिए-
फिसड्डी रहना, किसी का दिया दूध पीना, मुहुर्त सोचना, बड़े शेर होना, ख्यालों में डूबने।
उत्तर- फिसड्डी रहना=किसी काम का न होना।
प्रयोग-हमारी कक्षा में कई विद्यार्थी फिसड्डी हैं।
किसी का दिया दूध पीना=किसी पर निर्भर रहना।
प्रयोग -यदि कैलाश किसी का दिया दूध पीता है तो अपने परिवार की रक्षा नहीं कर सकता है।
मुहुर्त सोचना=कार्य की प्रतीक्षा करना।
प्रयोग- कार्य करने के लिए कोई मुहूर्त नहीं सोचना पड़ता है।
बड़े शेर होना=स्वयं को बड़ा समझना ।
प्रयोग- हम लोग कभी बड़े शेर हुआ करते थे।
ख्यालों में डूबना=मात्र सोचना।
प्रयोग- मात्रा ख्यालों में डूबने से सफलता प्राप्त नहीं होती है।