पाठ 9
हमें न बाँधो प्राचीरो में
MP Board Class 8 Hindi Sugam Bharti Chapter 9 Hane Na Bandho Prachiron Mein
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Textual Exercise
नए शब्द
उन्मुक्त= स्वतंत्र।
गगन =आकाश।
पिंजरबध्द =पिंजरे में बंद।
कनक= सोना।
पुलकित =प्रसन्न।
कटुक =कड़ुआ , कड़वा।
श्रृंखला =जंजीर।
फुनगी =अंतिम सिरा।
अरमान =इच्छा।
क्षितिज =वह स्थान जहाँ पृथ्वी एवं आकाश मिलते हुए दिखाई देते हैं।
नीड़ =घोंसला।
टहनी =पतली शाखा।
आश्रय =सहारा।
आकुल =बेचैन।
प्राचीर = परकोटा ,चारदीवारी।
सम्पूर्ण पद्यांशो की व्याख्याएँ ।
(1) हम पंछी…………………………………………टूट जायेंगे।
शब्दार्थ — उन्मुक्त = खुले , स्वतंत्र । गगन = आकाश। पिंजरबध्द = पिंजरे में बंद । कनक = सोना। पुलकित = प्रसन्न।
सन्दर्भ — यह पद्यांश हमारी पाठ्य - पुस्तक ‘सुगम भारती ’ के ‘ हमें न बाँधो प्राचीरो में ’ नामक पाठ से लिया गया है । इसके कवि श्री शिवमंगल सिंह ‘सुमन ’ हैं ।
प्रसंग — इसमें स्वतंत्रता प्रिय प्राणी का स्वभाव बताया गया है । कवि ने पक्षी के माध्यम से स्वतंत्रता की बात रखी है ।
व्याख्या — स्वाधीन स्वभाव का पक्षी (प्राणी) चारदीवारी में बंद रहकर मधुर गीत नहीं गा सकता है । उसके प्रसन्नता भरे पंख पिंजरे की सोने की छड़ो से टकराकर चूर-चूर हो जायेंगे । भाव यह है कि स्वतंत्र स्वभाव वाले आर्थिक बंधनों में प्रसन्न नहीं रह सकते हैं ।
(2) हम बहता …………………………………………मैदा से।
शब्दार्थ— जल =पानी। कटुक =कड़ुबी । निबोरी = नीम पर लगने वाला फल । कनक = सोना ।
सन्दर्भ— पूर्व की तरह ।
प्रसंग — यहाँ बताया गया है कि स्वतंत्र स्वभाव वाले आर्थिक आकर्षणों को महत्व नहीं देते हैं ।
व्याख्या— नदियों में बहता हुआ पानी पीने वाले स्वतंत्र स्वभाव के प्राणी भूखे और प्यासे रहकर भले ही मर जाये किन्तु वे बंधन पसंद नहीं करेंगे। उनके लिए सोने की कटोरी में भरी मैदा से कड़ुबी निबोरी श्रेष्ठ है। आशय यह है कि स्वतंत्रता चाहने वालों को धन- सम्पत्ति का लालच स्वीकार नहीं होता है।
(3) स्वर्ण-श्रृंखला ………..…………………………के झूले
शब्दार्थ— स्वर्ण = सोना। श्रृंखला =जंजीर । गति =चाल । तरु =पेड़। फुनगी =ऊपरी सिरा ।
सन्दर्भ— पूर्व की तरह।
प्रसंग— यहाँ आर्थिक बंधनों मे बंधने वालों की स्थिति के बारे में बताया गया है।
व्याख्या— जो प्राणी सोने की जंजीरों में बंधे हैं अर्थात् जिन्होंने आर्थिक लाभ स्वीकार कर लिया है वे अपनी सहज स्वाभाविक चाल, विचार आदि सब भुला बैठे हैं। वे भ्रम में पड़कर पेड़ के ऊपरी सिरे पर पड़ने वाले झूले के स्वप्न देखते रहते हैं। आशय यह है कि परतंत्रता मे रहकर लालच में फँसे लोगों के स्वप्न कभी पूरे नहीं होते हैं ।
(4) ऐसे थे…………………………………………………….डोरी।
शब्दार्थ— अरमान= इच्छा। गगन = आकाश । होड़ा-होड़ी =मुकाबला , संघर्ष। क्षितिज =वह स्थान जहाँ पृथ्वी और आकाश मिलते हुए दिखाई देते हैं। तनती =तन जाती, लम्बी हो जाती। साँसो की डोरी =श्वासों का क्रम, जीवन।
सन्दर्भ—पूर्व की तरह।
प्रसंग— यहाँ बताया गया है कि स्वतंत्रता प्रिय व्यक्ति की इच्छा होती है कि वह स्वच्छन्द रूप से संघर्ष करे।
व्याख्या— स्वतंत्र स्वभाव के प्राणी की इच्छा होती है कि वह नीले आकाश के नीचे बसे जगत से अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए संघर्ष करे। इस मुकाबले में विजयी होने पर जो लक्ष्य तय किया था, वह मिल जाता है तो ठीक नहीं तो प्राणों का संकट (मृत्यु) भी स्वीकार करने से न घबराये। स्वाधीनता प्रिय व्यक्ति प्राणों की परवाह नहीं करता, उसे स्वतंत्र रुप से जीने के लिए, अपने लक्ष्य को पाने के लिए बलिदान भी स्वीकार है।
(5) नीड़ न ………..………………………………………प्राचीरों में।
शब्दार्थ— नीड़ =घोंसला। टहनी =डाली। आश्रय =सहारा , निवास। छिन्न-भिन्न =नष्ट, तोड़ना। आकुल =बैचेन, भाव भरे। विघ्न =बाधा। नभ =आकाश। धुँधली =अस्पष्ट। प्राचीर =परकोटा चारदीवारी।
सन्दर्भ—पूर्व की तरह।
प्रसंग— यहाँ कवि ने अपेक्षा की है कि स्वतंत्र स्वभाव के व्यक्ति की स्वाधीनता पर बंधन नहीं लगाना चाहिए।
व्याख्या— कवि कहते हैं कि स्वतंत्र स्वभाव वाले पक्षी को भले ही डालियों का घोंसला न दिया जाए , चाहे उसके डालियों से बने निवास को भी नष्ट कर दिया जावे किन्तु भावना के पंख दिए है तो उन्हे स्वतंत्र रुप से उड़ने का अधिकार अवश्य दिया जाना चाहिए। बेचैनी से भरी उनकी स्वप्नों की उड़ान में किसी प्रकार की बाधा डालना उचित नहीं है।
स्वतंत्रता की भावना से भरे पागल प्रायः आकाश में दिखने वाली अस्पष्ट दीवारों में कैसे बंधकर रह पायेंगे। आशय यह है कि कोरी कल्पना उन्हें स्वीकार नहीं होगी। उन्हें चारदीवारी के बंधन में बाँधना उचित नहीं है।
अनुभव विस्तार—
प्रश्न 1. वस्तुनिष्ठ प्रश्न—
(क) सही जोड़ी बनाइए—
1) ऐसे थे अरमान कि होती - (क) पुलकित पंख टूट जायेंगे
2) कनक तीलियों से टकराकर - (ख) नील गगन से होड़ा - होड़ी
3) हम बहता जल पीने वाले - (ग) तरू की फुनगी पर के झूले
4) बस सपनो में देख रहे हैं - (घ) मर जायेंगे भूखे- प्यासे ।
उत्तर:- (1)(ख), (2)(क) , (3) (घ),(4) (ग)।
(ख) सही विकल्प चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए—
(अ) हम पंक्षी उन्मुक्त ………..………………के। (गगन/चमन)
(ब) नीड़ न दो चाहे …….……………………का। (कुटिया/टहनी)
(स) आश्रय …...….……………कर डालो। (छिन्न-भिन्न/ खिन्न-खिन्न)
(द) या तो…………………मिलन बन जाता। (आकाश /क्षितिज)
उत्तर:- (अ) गगन ,(ब) टहनी, (स) छिन्न-भिन्न, (द) क्षितिज ।
प्रश्न 2. अति लघु उत्तरीय प्रश्न—
(अ) पिंजरे में बंद होकर पक्षी क्यों नहीं गा पायेंगे ?
उत्तर:- पिंजरे में बंद होकर पक्षी पर बंधन लग जायेगा इसलिए वह सहज में गायन नहीं कर पायेगा।
(ब) पंक्षी क्या चाहता है ?
उत्तर:- पंक्षी चाहता है कि उसे परकोटे में न बाँधा जाये।
(स) पंक्षी का क्या अरमान है ?
उत्तर:- पंक्षी का अरमान है वह नीले आकाश के नीचे बसे संसार से संघर्ष करके अपना लक्ष्य प्राप्त करे ।
(द) पंक्षी स्वप्न में क्या देखता है ?
उत्तर:- पंक्षी स्वप्न में पेड़ो की फुनगी पर पड़े झूले देखता है ।
प्रश्न 3. लघु उत्तरीय प्रश्न —
(अ) पक्षी को सोने की सलाखो के पिंजरे में किस बात का भय बना रहता है और क्यों ?
उत्तर:- जो पंक्षी सोने की सलाखों वाले पिंजरे में बंद रहता है तो उसे लगातार डर लगा रहता है। पिंजरे की सलाखो मे उलझकर उसके पंख टूट सकते है। पिंजरा छोटा-सा होता है उसमे पक्षी के उड़ने के लिए स्थायी नहीं होता है। यदि वह उड़ने की कोशिश करेगा तो उसके पंख टूट जायेंगे।
(ब) स्वतंत्र जीवन जीने वाले कैसे होते है ?
उत्तर:- स्वतंत्र जीवन जीने वाले किसी तरह का बंधन नहीं चाहते हैं। वे बिना पानी एवं भोजन के मर भले ही जावें किन्तु वे सोने की कटोरी की मैदा से बने पकवानों से कड़ुवी निबोरी खाना पसंद करेंगे। क्योंकि सोने की कटोरी का मैदा से बने पकवान बंधन लगाये बिना नही मानेंगे।
(स) कनक-कटोरी की मैदा और ‘कटुक-निबौरी’ मे से पक्षी को कौन-सी वस्तु भली लगती है और क्यों? लिखिए
उत्तर:- सोने की कटोरी की मैदा के पकवान बहुत स्वादिष्ट होते हैं और नीम की निबोरी बहुत कड़वी होती है।
किन्तु स्वतंत्र स्वभाव वाले पक्षी को सोने की पकवान से कड़वी निबोरी भली लगती है । क्योंकि सोने की कटोरी के पकवान खाने के लिए पिंजरे में बंद होना पड़ेगा,बंधन स्वीकार करना पड़ेगा, जबकि नीम की निबोरी खाने में कोई बंधन नहीं है। वह स्वतंत्र रहना पसंद करता है ।
(द) पिंजरे की सुविधाएं पंक्षी को क्यों पसंद नही है ?
उत्तर:- पंक्षी स्वतंत्र स्वभाव के होते है उन्हें अपनी इच्छा के अनुसार घूमना,उड़ना प्रिय होता है। यदि वे पिंजरे में बंद हो जायेंगे तो उन्हें खाने-पीने की सुविधाएं मिल जायेगी। उन्हें वहाँ आराम भी मिलेगा। परन्तु पिंजरे में जाते ही उनकी स्वतंत्र चाल , उड़ान आदि समाप्त हो जायेगी। अपने मन के अनुसार वह नहीं उड़ सकेगा। पिंजरे में रहते-रहते एक दिन ऐसा होगा कि पंक्षी चलना उड़ना आदि ही भूल जायेगा। इसीलिए पंक्षी की सुविधाएं पसंद नहीं करते हैं ।
भाषा की बात —
प्रश्न1. निम्नलिखित शब्दों को बोलिए और लिखिए ।
उन्मुक्त , पिंजरबध्द , कटुक - निबोरी, श्रृंखला, फुनगी , नीड़ , आश्रय , नील गगन , क्षितिज।
उत्तर:- विद्यार्थी इन शब्दों को सही तरह बोलने और शुध्द रूप में लिखने का अभ्यास करें।
प्रश्न 2. निम्नलिखित पंक्तियों के भाव स्पष्ट कीजिए—
(क) पुलकित पंख टूट जाएँगे ।
(ख) स्वर्ण श्रृंखला के बंधन में अपनी गति , उड़ान सब भूले ।
(ग) नील गगन से होड़ा-होड़ी ।
उत्तर:-(क) पुलकित पंख टूट जायेंगे का भाव है– जो प्रसन्नता भरे स्वछन्द भाव है वे बंधन में रहकर समाप्त हो जायेंगे।
(ख) सोने के पिंजरे में बंद पंक्षी को चलने- फिरने या उड़ने की स्वतंत्रता नहीं होगी। अर्थात् वह अपनी इच्छानुसार कुछ नहीं कर सकेगा। उसकी सभी भावनाएँ समाप्त हो जायेंगी।
(ग) ‘नील गगन से होड़ा-होड़ी’ का भाव है कि नीले आकाश के नीचे बसे संसार से मुकाबला करके अपने लक्ष्य को पाने के लिए संघर्ष किया जायेगा ।
प्रश्न 3. कविता में ‘भूखे-प्यासे’ शब्द आया है इसमें योजक चिन्ह (-) का प्रयोग हुआ है।
निम्नलिखित शब्दो को योजक चिन्ह लगाकर लिखिए—
कनक तीलियों, कटुक निबोरी, होड़ा होड़ी , छिन्न भिन्न ।
उत्तर:-(1) कनक- तीलियों, (2) कटुक - निबोरी, (3) होड़ा -होड़ी,(4) छिन्न-भिन्न ।
प्रश्न 4. निम्नलिखित शब्दो के विलोम शब्द लिखिए–
(1) आकाश,(2)स्वाधीन ,(3) सुबह, (4) अमृत ।
उत्तर:- शब्द विलोम शब्द
(1) आकाश पाताल
(2) स्वाधीन पराधीन
(3) सुबह शाम
(4) अमृत विष
प्रश्न 5. नीचे दिए गए शब्दो ं के लिंग परिवर्तन कीजिए—
(1) चूहा , (2) बालक , (3) सेवक ,(4) पापी ,(5) बंदर ,(6) घोड़ा,(7) लेखक।
उत्तर:- शब्द परिवर्तित लिंग
(1) चूहा चुहिया
(2) बालक बालिका
(3) सेवक सेविका
(4) पापी पापिन
(5) बंदर बंदरिया
(6) घोड़ा घोड़ी
(7) लेखक लेखिका