MP Board Class 8 Hindi Sugam Bharti Chapter 13 Gramya Jeevan

 

  पाठ 13

ग्राम्य जीवन

 – मैथिलीशरण गुप्त 




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सम्पूर्ण पद्यांशों की व्याख्याएँ

(1) अहा ! ग्राम्य….……….......……………………नाम नहीं है
शब्दार्थ :– ग्राम्य =गाँव का। निर्वाह =गुजारा। सुविधा =सहूलियत। घात =छल, दाव-पेंच। आडम्बर =दिखावा, ढोंग। अनाचार =बुरा व्यवहार, दुराचरण।
सन्दर्भ :– प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य- पुस्तक ‘सुगम भारती’ के ‘ग्राम्य जीवन ’ पाठ से लिया गया है। इसके कवि मैथिलीशरण गुप्त हैं।
प्रसंग :– इसमें ग्रामीण जीवन की सहजता एवं सरलता का वर्णन है।
व्याख्या :– कवि मैथिलीशरण गुप्त कहते हैं, अहा ! गाँव का जीवन कितना उत्तम है। इस जीवन को जीना सभी चाहते हैं। गाँव की आवश्यकताएँ बहुत कम होती हैं। इसलिए गाँव में कम आय से ही गुजारा हो जाता हैं। इस प्रकार कम खर्च में जीने की सहूलियत गाँव के अलावा और कहीं नहीं है।
गाँव का जीवन सीधा- सादा है। यहाँ शहरों की सी बनावटीपन की बात नही है। यहाँ के लोगों के अपने-अपने दाव-पेंच भी नहीं हैं। गाँव में दिखावा तो नाममात्र का भी नहीं होता है। यहाँ पर कोई भी बुरा आचरण, दुर्व्यवहार नाममात्र को भी नहीं करता है।


(2) सीधे-सादे………………………………………… अतीव सरल है।
शब्दार्थ :– निराले =अनोखे। ममता =लगाव, प्रेम। समता =समानता। तन =शरीर। उज्जवल =पवित्र, निर्मल। बल =शक्ति, सहारा। अंत:करण =हृदय। अतीव =बहुत, अत्यधिक।
सन्दर्भ :– पूर्व की तरह।
प्रसंग :– यहाँ ग्रामवासियों के भोलेपन तथा निर्मलता का वर्णन किया गया है।
व्याख्या :– सीधा एवं सादा जीवन जीने वाले भोले-भाले स्वभाव के गाँववासी बड़े अनोखे होते हैं। यहाँ के निवासी एक-दूसरे को प्रेम करते हैं। सभी ग्रामवासियों में प्रेमभाव से युक्त समानता की भावना दिखाई देती है। उनमें छोटे- बड़े, ऊँच- नीच का भाव नहीं होता है।
गाँव के निवासियों का, धूप में काम करने के कारण, शरीर भले ही काला होता है लेकिन उनमें मन बहुत निर्मल, पवित्र होते हैं। उनमें छल-कपट नहीं होता है। ग्रामीण अपनी शक्ति और ईश्वर की कृपा में विश्वास करते हैं। वे स्वाभिमानी होते हैं। उनका हृदय अत्यंत सरल, स्वच्छ होता है।


(3) प्रायः सबकी……………………………….…………….जल -घट है।
शब्दार्थ
:– विभूति =धन-सम्पत्ति, वैभव। पारस्परिक =आपस में। सहानुभूति =सहयोग का भाव। ईर्ष्या =जलन,कटुता। द्वेष =बैर, विरोध। कपट =छल। लेश =अंशमात्र, थोड़ा-सा भी। सुघर= सुन्दर,भली प्रकार बनाए गए। गोपद =गाय के खुर। चिन्हित =निशान लगे। तट =किनारे। जल-घट=पानी के घड़े।
सन्दर्भ :– पूर्व की तरह।
प्रसंग :– इसमें ग्रामीण जीवन की छल-कपट रहित स्वाभाविक सहानुभूति का वर्णन हुआ है।
वव्याख्या :– ग्रामीण जीवन में सभी धन- सम्पत्ति,वैभव आदि सभी के है। वहाँ व्यक्तिगत का अधिक महत्व नही है। ग्रामीण प्रेमभाव से युक्त होकर आपस में सहयोग करते हैं। उनमें किसी प्रकार की जलन, बैर आदि नहीं है। उनके हृदयों में छल- कपट लेशमात्र भी नही होता है।
ग्रामवासियों के मिट्टी के बने हुए छोटे-छोटे घर है, लेकिन वे घर लिपाई, पुताई के कारण साफ है और बहुत सुन्दर प्रकार से बनाए गए हैं। घरों के आँगन के किनारों पर गाय के खुर के चिन्ह बने हुए हैं। वही एक तरफ पानी के घड़े रखे हुए हैं।


(4) खपरैलों पर…….……………………………………विपिन निछावर।
शब्दार्थ
:– फूली-फूली =फूल और फलियो से युक्त। मन भाई= मनोहर, मन को अच्छी लगने वाली। काशीफल =एक सब्जी, कद्दू। कुष्मांड =कुम्हड़ा, सफेद कद्दू। डाक्टरी =डाक्टरों की। संध्या =शाम। विपिन= वन, जंगल। निछावर =न्यौछावर।
सन्दर्भ :– पूर्व की तरह ।
प्रसंग :– यहाँ गांवो में पैदा होने वाली सब्जियों और गाँव के सायंकालीन मौसम का वर्णन हुआ है।
व्याख्या :– गांवो में सब्जियों की बेलें खपरैलों के ऊपर छाई हुई है। फूल और फलों से लदी हुई ये हरी- हरी बेलें मन को बहुत अच्छी लगती हैं। किसी तरफ काशीफल और कुम्हड़ा फल रहा है तो किसी और सुन्दर-सुन्दर लौकियाँ लटकी हुई है।
गाँव की वायु में शुद्धता का जैसा गुण मिलता हैं। वैसा गुण डाक्टरों द्वारा दी गई दवाइयों में भी नहीं मिलता है। यहाँ की जलवायु पूरी तरह स्वच्छ- शुद्ध है। शाम के समय गाँव के बाहर जो सौन्दर्य फैला होता है उस पर देवताओ का नंदन वन भी न्यौछावर किया जा सकता है। आशय यह है कि शाम के समय गाँव के बाहर के जंगल बड़े मनोरम होते हैं।


(5) श्रम-सहिष्णु………………………………….संबंधी हो जैसे।
शब्दार्थ
:– श्रम =मेहनत, परिश्रम। सहिष्णु =सहनशील। निरंतर= लगातार। संबंधी =रिश्तेदार।
सन्दर्भ :– पूर्व की तरह।
प्रसंग :– यहाँ पर मेहनत पसंद ग्रामीणों के सेवा- भाव का वर्णन हुआ है।
व्याख्या :– गाँव में निवास करने वाले सभी आदमी परिश्रम करने वाले होते है। उन्हें मेहनत की थकान सहन करने की आदत होती है। वे आलस्य मे पड़कर सोते नहीं है। वे कई दिनों तक खेतो में ही रहते हैं। वहाँ वे लगातार काम करते है। वे कामचोर नहीं होते है।
सारे गाँव में यदि कही पर कोई अतिथि आ जाता है तो यहाँ सभी उसकी खातिर करते हैं। अतिथि को गाँव इस प्रकार आदर भाव से ठहराया जाता है जैसे कोई अपना खास रिश्तेदार आया हो। उसका सब प्रकार से सेवा-सत्कार किया जाता है।
नए शब्द :– घात =दाव पेंच, छल। आडम्बर =ढोंग, दिखावा। अनाचार =बुरा व्यवहार , दुराचरण। ग्रामीण= गाँव में रहने वाला। अन्त: करण= हृदय। अतीव= बहुत,अत्यंत,अत्यधिक। विभूति= वैभव, धन संपत्ति। द्वेष =बैर, विरोध। कपट =छल,दुराव,छिपाव। लेश =अंश मात्र, थोड़ा सा भी। सुघर= सुडौल, सुन्दर। गोपद= गाय के खुर। काशीफल =कद्दू। कुष्मांड =कुम्हड़ा, सफेद कद्दू। विपिन =वन, जंगल। निराले =अनोखे।


अनुभव विस्तार—
प्रश्न 1. वस्तुनिष्ठ प्रश्न–
(क) सही जोड़ी बनाइए—

(1) सीधे-सादे भोले-भाले (क) प्राप्त नहीं डाक्टरी दवा में।
(2) गोपद चिन्हित आँगन तट हैं (ख) पर अति ही उज्जवल है मन से।
(3) यद्यपि वे काले हैं तन से (ग) रखे एक ओर जलघट हैं।
(4) है जैसा गुण यहाँ हवा में (घ) हैं ग्रामीण मनुष्य निराले।
उत्तर:- (1)→(घ),(2)→(ग),(3)→(ख),(4)→(क)।


(ख) सही शब्द चुनकर रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए–
(अ) एक-दूसरे की ममता है,सब में …………समता है।
(प्रेममयी/ क्रोधमयी)
(ब) छोटे से …………के घर है,लिपे-पुते है स्वच्छ सुघर हैं ।
(लकड़ी/मिट्टी)
(स) खपरैलों पर बेलें छाईं …………………हरी,मन भाईं।
(फूली-फली/खिली-खिली)
(द) प्राय: सबकी सब विभूति हैं, पारस्परिक….....………है । (अनुभूति/ सहानुभूति)
उत्तर:- (अ)प्रेममयी,(ब)मिट्टी,(स)फूली-फली,(द) सहानुभूति।


प्रश्न 2. अति लघु उत्तरीय प्रश्न–
(अ) आडम्बर और अनाचार किन लोगों में नहीं होता है ?
उत्तर
:- ग्राम के निवासी लोगों में आडम्बर और अनाचार नहीं होता है।


(ब) हवा को किससे बड़कर बताया है ?
उत्तर
:- ग्रामीण हवा को डाक्टरों की दवा से बड़कर बताया है।


(स) गाँवों के आँगन तट कैसे होते है ?
उत्तर:
- गाँव के आँगन तट गोपद चिन्हित होते हैं।


(द) कवि ने नन्दन विपिन को किस पर न्यौछावर किया है ?
उत्तर
:- कवि ने नन्दन विपिन को शाम के समय गाँव के बाहर होने वाले सुहावने सौन्दर्य पर न्यौछावर किया है।


प्रश्न 3. लघु उत्तरीय प्रश्न–
(अ) कवि ने ग्राम्य जीवन को शहरी जीवन से श्रेष्ठ क्यों माना है ?
उत्तर
:- ग्रामीण जीवन में शहरों की तरह दिखावा, बनावटीपन या दुर्व्यवहार नहीं है ।वहाँ सरल, सादा तथा शिष्टाचार पूर्ण जीवन है। कवि ने इसीलिए ग्राम्य जीवन को शहरी जीवन से श्रेष्ठ माना है।


(ब) गाँव के घरों की क्या विशेषताएँ होती है ?
उत्तर
:- गाँव में सभी के मिट्टी के बने हुए छोटे-छोटे घर होते है। बड़े सुन्दर ढंग से बने ये घर लिपे और पुते हुए होते है। घरों के आँगनों मे गाय के खुरों के निशान बने होते हैं। घर में एक तरफ पानी के घड़े रखे होते है। इस प्रकार गाँव के घरों की अनेक विशेषताएँ होती हैं।


(स) गाँव वालों का स्वभाव कैसा होता है ?
उत्तर
:- गाँव के निवासी बहुत सीधे , सरल, सहज तथा भोले होते है। उनमें आपस में बहुत प्रेम होता है। उनमें छोटे-बड़े की बात नही होती। सभी बराबरी का व्यवहार करते हैं। उनके मन में जलन , कटुता, बैर,विरोध का भाव नहीं होता है। उनमें छल- कपट तो लेशमात्र भी नहीं होता है।


(द) ‘श्रम-सहिष्णु’ सब जन होते हैं। से कवि का क्या आशय है ?
उत्तर
:- ग्रामवासी बड़े मेहनती होते हैं। वहाँ सभी परिश्रम करते हैं। परिश्रम करने के बाद भी वे अत्यन्त सहनशील होते हैं। वे सहज भाव से रहते हैं। उनमें शहरवासियों के प्रति ईर्ष्या आदि नहीं होता है। उनमें आलस्य नही होता है। खेतों में रह करके वे लगातार काम करते हैं। ‘श्रम-सहिष्णु सब जन होते हैं ’ से कवि का यही आशय है।


(ई) गाँवों में अतिथि सत्कार किस प्रकार होता है ?
उत्तर
:- गाँवों में बाहर से आने वाले अतिथि का सत्कार बड़े प्रेमभाव से करते हैं। जब कोई अतिथि आता है तो वह सभी गाँव वालों का अतिथि होता है। उसे सम्मान के साथ इस तरह ठहराया जाता है जैसे वह किसी का रिश्तेदार हो। उसके खाने-पीने, सोने-बैठने की समुचित व्यवस्था की जाती है।


भाषा की बात—

प्रश्न 1. बोलिए और लिखिए–
ग्रामीण, अन्त: करण , उज्ज्वल, श्रम, सहिष्णु।
उत्तर
:- विद्यार्थी इन शब्दों का सही उच्चारण करने का तथा शुध्द वर्तनी में लिखने का अभ्यास करें।

प्रश्न 2. सही वर्तनी पर गोला लगाइए–
1. निरवाह , निर्वाह, निवार्ह , र्निवाह।
2. साहानुभूति , शहानुभुति , सहानुभूति, सहानूभूती।
3. आतिथ्य , अतिथ्य, आतीथ्य , आतिथय ।
4. आर्शीवाद, आशीरवाद , आशीवार्द , आशीर्वाद।
उत्तर:
- 1. निर्वाह , 2. सहानुभूति, 3. आतिथ्य, 4 आशीर्वाद।


प्रश्न 3. निम्नलिखित शब्दों का वाक्यो में प्रयोग कीजिए–
अपनी-अपनी, सीधे-सादे, दिन-दिन , ग्राम्य-जीवन ।
उत्तर
:- अपनी-अपनी– प्रार्थना के बाद विद्यार्थी अपनी-अपनी कक्षा में चले जाते हैं।
सीधे-सादे – गाँव के व्यक्ति बड़े सीधे-सादे होते हैं।
दिन-दिन– फसल पक जाती है तो किसान दिन-दिन खेतों में काम करते हैं ।
ग्राम्य-जीवन– ग्राम्य-जीवन बहुत सरल होता है ।


प्रश्न 4. निम्नलिखित शब्दों में जल, हवा और विपिन के समानार्थी (पर्यायवाची शब्द) छाँटकर लिखिए–
वायु , पानी , वन, जंगल, पवन, नीर , कानन, सलिल।
उत्तर
:- जल – पानी, नीर, सलिल।
हवा – वायु, पवन।
विपिन–वन, जंगल, कानन।


प्रश्न 5. निम्नलिखित शब्दों में तत्सम और तद्भव छाँटकर सूची बनाइए—
पद, चाँद, पैर, नैन, हाथ, धरा, अमिय, काम, चन्द्र, हस्त, अग्नि, सुभीता, नयन, धरती, देव, सुविधा, कार्य, आम , अश्रु, आग , आम्र, आँसू।
उत्तर
:- तत्सम– पद, नयन, हस्त, अग्नि, कार्य, धरा, देव , सुविधा, आम्र, अश्रु, चन्द्र।
तद्भव– पैर, नैन, हाथ, आग, काम, धरती, सुभीता, आम, आँसू, अमिय, चाँद।


प्रश्न. 6 नीचे दी हुई पंक्तियों में से सर्वनाम शब्द छाँटिए–
(अ) क्यों न इसे सबका मन चाहे ।
(ब) अपनी-अपनी घात नहीं है।
(स) तो न उसे आती बरबादी।
(द) देती याद उन्हें चौपालें।
(ई) सब में प्रेममयी ममता है।
उत्तर
:- (अ) इसे, (ब) अपनी-अपनी ,(स) उसे, (द) उन्हें, (ई) सब।

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