MPBoard Class 8 Sanskrit Chapter 7

     

सप्तम्: पाठः 

ऐक्यबलम्


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MP Board Class 8 Sanskrit Chapter 7 Ekyabalam

Question Answer

अभ्यास 

शब्दार्थाः

आतपपीडितः = धूप से दुःखित। 
निम्बवृक्षे = नीम के पेड़ पर। 
चटकायुगलम् = चिड़ियों का जोड़ा (नर-मादा)। 
काष्ठभेदकः = कठफोड़वा नाम का पक्षी। 
मत्तगजः = मतवाला हाथी। 
चतुरमण्डूकम् = होशियार मेंढक। 
कातरक्रन्दनम् = करुण रोदन। 
मक्षिका = मक्खी। 
एकीभूताः = एकत्र होकर। 
सबलम् = बलशाली को। 
निमील्य = बन्दकर। 
तीक्ष्णबुद्धया = तेज बुद्धि के द्वारा। 
वीणावादनमुग्धः = वीणा वादन से मोहित हुआ।

एकपदेन उत्तरं लिखत
(एक शब्द में उत्तर लिखो)
(क) चटकायुगलं कुत्र निवसति स्म?
(चिड़ियों का जोड़ा कहाँ रहता था?)
उत्तर: निम्बवृक्षे। 
(नीम के पेड़ पर)

(ख) गजः कां नाशितवान्? 
(हाथी ने किसे नष्ट किया?)
उत्तर: अण्डानि। 
(अण्डों को)

(ग) चटकायुगलस्य रोदनं श्रुत्वा कः आगतः?
(चिड़ियों के जोड़े का रोना सुनकर कौन आया ?)
उत्तर: काष्ठभेदकः। (कठफोड़वा)
 (कठफोड़वा)

(घ) काष्ठभेदकः काम् आनीतवान्? 
(कठफोड़वा किसको लाया?)
उत्तर-मक्षिकाम्।
(मक्खी को)

(ङ) जलं पातुं गजं कः आकर्षितवान्?
उत्तर: मण्डूकः। 

 
प्रश्न 2.
एकवाक्येन उत्तरं लिखत  
(एक वाक्य में उत्तर लिखो)
(क) बुद्धिमान् कः अस्ति? 
(बुद्धिमान कौन है?)
उत्तर: यः मृतं गतं च न चिन्तयति।  
(वह जो मरे हुओं और चले गए के बारे में नहीं सोचता।)


(ख) मित्रस्य कार्य कः साधयति? 
 (मित्र के कार्य को कौन पूरा करता है?)
उत्तर: मित्रस्य कार्यं मित्रं साधयति।
(मित्र ही मित्र का काम पूरा करता है।)  

(ग) मण्डूकः मक्षिकां किम् उपायम् उक्तवान्?
(मेंढक ने मक्खी को क्या उपाय बताया?)
उत्तर: मण्डूकः मक्षिका एकीभूता दुर्बलाः अपि सबलं शत्रु हन्तुं शक्नुवन्ति इति उपायम् उक्तवान्। 
(मेंढक और मक्खी ने एकजुट होकर वह तरीका बताया जिससे कमजोर भी ताकतवर दुश्मन को मार सकता था।)

(घ) मक्षिका गजस्य कर्णयोः किं कृतवती? 
(मक्खी ने हाथी के कानों में क्या किया?)
उत्तर: मक्षिका गजस्य कर्णयों वीणावादनं कृतवती। 
(मक्खी ने हाथी के कानों में वीणा वादन किया।)


(ङ) तैः मत्तगजं केन बलेन मारितः? 
(उन्होंने किस बल से मतवाले हाथी को मार डाला?)
उत्तर: तैः मत्तगजं ऐक्यबलेन मारितः। 
(उन्होंने एकता के बल से मतवाले हाथी को मार डाला)
 

(क) ऐक्यबलेन(i) चन्चुप्रहारम्
(ख) बुद्धिमान(ii) वीणावादनम्
(ग) काष्टभेदकः(iii) ‘कातरक्रन्दनम् 
(घ) मक्षिका(iv) मत्तगजः मारितः
(ड)‘चटकायुगलं (v) यः मृतं गतं च न चिन्तयति
उत्तर:
(क) → (iv)
(ख) → (v)
(ग) → (i)
(घ) → (ii)
(ङ) → (iii)


प्रश्न 4. रिक्तस्थानानि पूरयत
(रिक्त स्थान भरो-)
(क) निम्बवृक्षे एकं ……… प्रतिवसति स्म।
(ख) चटकायुगलं ………….. आरब्धवत्।
(ग) मक्षिका स्वमित्रम् ……….. पृष्टवती।
(घ) मत्तगजः ………….. पतितः।
(ङ) ते ………….. मत्तगजं मारितवन्तः।
उत्तर:
(क) चटकायुगलम्
(ख) कातरक्रन्दनम्
(ग) उपायम्
(घ) पङ्के
(ङ) ऐक्येन।

 
प्रश्न 5. एकताविषये पञ्चवाक्यानि लिखत 
(एकता के विषय पर पाँच वाक्य लिखो-)
उत्तर:
(क) ऐक्यबलेन दुर्बलाः अपि सबलं शत्रु हन्तुं शक्नुवन्ति।
(ख) एकतया सर्वाणि कार्याणि सिद्धयन्ति।
(ग) एकतया तैः मत्तगजः मारितः।
(घ) वर्तमानसमये एकतायाः महती आवश्यकता अस्ति।
(ङ) मानवजीवने एकतायाः विशेषमहत्वं वर्तते।


 
प्रश्न 6. पाठे आगतानां जीवानां नामानि परस्परं सम्बन्धं च लिखत 
(पाठ में आये हुए जीवों के नाम और आपस में सम्बन्ध लिखो-)
उत्तर:

जीवनाम:परस्‍पर संबध:
(क) चटकायुगलं (i) काष्ठभेदकस्‍य मित्रदंपति: (नर मादा)
(ख) गजः (ii) चटकायुगलस्‍य शत्रु:
(ग) ‘काष्ठभेदकः(iii) ‘चटकायुगलस्‍य मित्रम् 
(घ) मक्षिका(iv) काष्ठभेदकः मित्रम् 
(ड) मण्डूकः(v) मक्षिकाया: मित्रम् 

ऐक्यबलम् हिन्दी अनुवाद

कस्मिञ्चित् वने निम्बवृक्षे एकं चटकायुगलं प्रतिवसति स्म। समये चटकया अण्डानि दत्तानि, युगलम् अति प्रसन्नम् आसीत्। एकस्मिन् दिने आतपपीडितः एकः मदमत्त: गजः तत्र आगतः। मदेन सः तस्य वृक्षस्य तां शाखां नाशितवान् यस्यां शाखायां चटकायाः अण्डानि आसन्। अतः अण्डानि अपि नष्टानि। चटकायुगलं कातरक्रन्दनम् आरब्धवत्। रोदनं श्रुत्वा तयोः मित्रं काष्ठभेदकः पक्षी आगतः। सः उक्तवान् रोदनेन अलम्। तेन उक्तं सः एव बुद्धिमान् यः मृतं गतं च न चिन्तयति। चटका तम् अवदत्, “एषः मत्तगजः हन्तव्यः अन्यथा एषः सर्वान् पशुपक्षिपादपान् नाशयिष्यति।” काष्ठभेदकः अवदत्-अहं स्वमित्रम् मक्षिकाम् आनयामि कदाचित् सा गजं हन्तुम् उपायं चिन्तयेत्।

अनुवाद:
किसी वन में नीम के पेड़ पर एक चिड़ियों का जोड़ा (नर-मादा) रहता था। समय पर चिड़िया द्वारा अण्डे दिये गये, जोड़ा बहुत प्रसन्न था। एक दिन धूप से दुःखी एक मतवाला हाथी वहाँ आया। मस्ती में उसने उस पेड़ की उस डाल को तोड़ दिया जिसमें चिड़िया के अण्डे थे। इसलिए अण्डे भी नष्ट हो गये। चिड़ियों के जोड़े ने करुण रोदन प्रारम्भ कर दिया। रोना सुनकर उन दोनों का मित्र कठफोड़वा नामक पक्षी आ गया। उसने कहा रोना बस करो। उसने कहा वह ही बुद्धिमान है जो मरे हुए और गये हुए की चिन्ता नहीं करता। चिड़िया ने उससे कहा, “यह मतवाला हाथी मारा जाना चाहिए अन्यथा यह सभी पशु-पक्षी और पेड़ों को नष्ट कर देगा।” कठफोड़वा बोला-मैं अपनी मित्र मक्खी को लाता हूँ शायद वह हाथी को मारने के लिए उपाय सोचे।

सः गत्वा मक्षिकां न्यवेदयत् यत्-मम चटकामित्रस्य गृहम् एकेन मत्तगजेन विनष्टम्। तस्य वधाय सहायतां करोतु। मक्षिका अवदत-“यत् मित्रम् एव मित्रस्य कार्य साधयति।” मक्षिका तदा स्वमित्रं चतुरमण्डूकम् उपायं पृष्टवती। मण्डूकः उक्तवान्-‘एकीभूता दुर्बलाः अपि सबलं शत्रु हन्तुं शक्नुवन्ति।’ तैः सर्वेः मिलित्वा एका योजना निश्चिता। सर्वेषां दायित्वं वितरितम्। तदनुसारं मध्याह्ने मक्षिकया गजस्य कर्णयोः वीणावादनं कृत्रम्। एतेन गजः नयने निमील्य वीणावादनेनमुग्धः अभवत्। तावत् एव काष्ठभेदकः तस्य नयने च प्रहारेण व्यनाशयत्। अनन्तरं यत्र महान् पङ्कः आसीत् तत्र मण्डूकः ध्वनिना तं जलं पातुम् आकर्षितवान्। अन्ध: गजः तस्मिन् पङ्के पतितः मृतश्च। एवं तैः तीक्ष्णबुद्धया ऐक्येन सः मत्तगजः मारितः। आत्मनो वनस्य च रक्षणं कृतम्।

अनुवाद :
उसने जाकर मक्खी से कहा कि-मेरी चिड़िया। मित्र का घर एक मतवाले हाथी ने नष्ट कर दिया है। उसके वध। (मारने) करने में सहायता करो। मक्खी ने कहा कि “मित्र ही। मित्र का कार्य पूरा करता है।” मक्खी ने तब अपने मित्र मेंढक से उपाय पूछा। मेंढक ने कहा-‘एकत्र होकर कमजोर भी बलशाली। शत्रु को मार सकते हैं।’ उन सबने मिलकर एक योजना निश्चित। की। सभी का दायित्व बाँट दिया गया। उसके अनुसार मध्यान्ह। में मक्खी ने हाथी के कानों में वीणा वादन किया। इससे हाथी। आँखें बन्द कर वीणा वादन से मोहित हो गया। तभी कठफोड़वे ने उसकी आँखें चोंच के प्रहार से फोड़ दी। इसके बाद जहाँ बहुत दलदल था वहाँ मेंढक ने आवाज से उसको पानी पीने केलिए आकर्षित किया। अन्धा हाथी उस दलदल में गिर गया और मर गया।

इस प्रकार, उन सबके द्वारा तेज बुद्धि के द्वारा एकता से वह मतवाला हाथी मारा गया। उन्होंने अपनी और वन की रक्षा की।



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