Main Dhundhta Tujhe | Class 6 | Hindi | C1

  

पाठ 1 
मैं ढूंढता तुझे 

Main Dhundhta Tujhe,  Lord Shiva on Meditation


MP Board Class 6 Hindi Sugam Bharti Chapter 1 Main Dhundhta Tujhe

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MP Board Class 6 Hindi Sugam Bharti Chapter 1 Main Dhundhta Tujhe

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MP Board Class 6 Hindi Sugam Bharti Chapter 1 Main Dhundhta Tujhe

Textual Exercise

1 मैं ढूंढता तुझे ---------- पतन में।।          

प्रसंग-  प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठय- पुस्तक सुगम भारती 6 में संकलित कविता “मैं ढूंढता तुझे था" से लिया गया है। इसके कवि रामनरेश त्रिपाठी हैं। इसमे उन्होंने ईश्वर की महिमा का गुणगान किया है।

व्याख्या –मानव ईश्वर को बाग बगीचे में ढूंढ़ता है किन्तु वह  तो दीन - दुखियों के द्वार पर खड़ा होता है ईश्वर किसी की आह बनकर मानव को पुकारता है किंतु लोग अपनी दुनिया में मस्त रहते हैं। वे सोचते है कि संगीत और भजन गाने से ईश्वर खुश होगा और उसकी पुकार सुन लेगा लेकिन ऐसा नहीं होता है। क्योंकि ईश्वर तो गिरे हुए को उठाने में लगा होता है। लोग संसार से उदासीन होकर ईश्वर को खोजते हैं परंतु वह किसी के पतन को उत्थान में बदल रहा है।

विशेष--(1) ईश्वर की महिमा का गुणगान है।

           (2) अनुप्रास अलंकार का प्रयोग किया गया है।

            (3) कविता लयात्मक औऱ संगीतात्मक है।

2, तू रूप है किरण में---------------मेरे अधीर मन में।

प्रसंग-- प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठय- पुस्तक सुगम भारती 6 में संकलित कविता “मैं ढूंढता तुझे था" से लिया गया है। इसके कवि रामनरेश त्रिपाठी हैं। इसमे उन्होंने ईश्वर की महिमा का गुणगान किया है

व्याख्या--कवि ईश्वर की महिमा का गुणगान करते हुए कहता है वह किरण मे रुप है, पुष्प में सौंदर्य है। पवन में प्राण है और गगन में विस्तार है।कवि प्रार्थना करता है।कि ईश्वर उसमें प्रतिभा, प्रदान करे ताकि वह उसे (ईश्वर को) ऑंखों में, मन में, और देख सके। कठिनाईयों और दुखों का इतिहास गौरवशाली होता हैं। कवि ईश्वर से प्रार्थना कर रहा है कि, वह उसमे कष्ट सहने की क्षमता दे ताकि वह दुःख मे हार नहीं माने और साथ ही दुःख के छड़ो में ईश्वर को भूले नहीं।

विशेष--(1) ईश्वर की महिमा का गुणगान है।

           (2) अनुप्रास अलंकार का प्रयोग किया गया है।

           (3) कविता लयात्मक और संगीतात्मक है।


1, (क) सही जोड़ी बनाइए-

                      अ।                      ब               उत्तर

                   दीन के।                वीरक्त।          वतन

                   कर्म में                  वतन।           मगन

                   अधीर।                 मगन।           मन

                   जग से।                मन।            जग से


(ख) दिए गए शब्दों में से उपयुक्त शब्द छाँट कर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए--

         1  - मैं ढूंढता तुझे था जब कुंज और वन में।(खोजता/ढूंढता)

         2 - आंखें लगीं थी मेरी तब मान और धन में।(लगी थी/खुली थीं)

          3- हे दीन बंधु! ऐसी प्रतिभा प्रदान कर तू।(प्रतिभा/प्रतिमा)

         4-  ऐसा प्रभाव भर दे मेरे अधीर मन में।  (अशान्त/अधीर)


अति लघु उत्तरीय प्रश्न :


2,  निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक- एक वाक्य मे दीजिए-

(क) - कवि ने ईश्वर को दीन बंधु क्यों कहा है?

उत्तर-  कवि ने ईश्वर को दीनबंधु इसलिए कहा है क्योंकि ईश्वर दीन- दुखियों की सेवा में लगा रहता है।

(ख)- अधीर मन की अधीरता किस प्रकार दूर हो सकती है?

उत्तर- अधीर मन की अधीरता तब दूर हो सकती है जब कवि ईश्वर को पा ले।


(ग)- "जग की अनित्यता" का क्या अर्थ है?

उत्तर- "जग की अनित्यता"का अर्थ संसार की क्षणभंगुरता से है।


(घ)- कवि किस स्थिति मे हार नही मानता?

उत्तर- कवि दुःख की स्थिति में हार नहीं मानता।


(ड)- किरन, सुमन,पवन और गगन, किस के स्वरूप है?   

उत्तर -किरन, सुमन, पवन और गगन ईश्वर के स्वरूप हैं।


(च)-  कविता मे "मैं" और "तू" शब्दों का प्रयोग किसके लिए किया गया है?

उत्तर- कविता में "मैं" का प्रयोग कवि के लिए और "तू" का प्रयोग ईश्वर के लिए किया गया है ।    

 

लघु उत्तरीय प्रश्न:


3, निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन से पांच वाक्यों में दीजिए--

1- केवल संगीत और भजन में ईश्वर को न ढूंढकर और कहां-कहाँ ढूंढना चाहिए?

उत्तर- ईश्वर को संगीत और भजन के माध्यम से पाना मुश्किल है।अगर ईश्वर को सही मायने में पाना तो दीनदुखियों के बीच जाना पड़ेगा, उनकी सेवा करनी पड़ेगी ईश्वर दीन-दुखियों में निवास करता है।

2- "कर्म में मगन औऱ कथन में व्यस्त” इस पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- ईश्वर परोपकार के काम में लगा था जबकि कवि केवल व्यर्थ बोलने में लगा हुआ था। ईश्वर हमेशा बिना किसी के दबाव के अपना काम करता जाता है। मनुष्य झूठी दुनियादारी में खोया रहता है। मनुष्य के कथनी और करनी में हमेशा अंतर रहता है जबकि ईश्वर कुछ कहता नहीं है, सिर्फ सत्कर्म में लगा रहता है।


3- कवि और ईश्वर की उपस्थिति के पांच-पांच स्थान बताइए?

उत्तर-  कवि - बगीचा, जंगल, मंदिर, चमन, भजन।

        ईश्वर -दीन- दुखियों के बीच, किरण में  ,फूलों में, पवन में, आकाश में।


4- “मान और धन की अपेक्षा ईश्वर दीन दुखियों के आँसू में निवास करता  है।“ समझाइए।

उत्तर- मानव संसार की चकाचौंध में खोया रहता है। उसे अपने मान सम्मान और धन-दौलत की ज्यादा चिंता रहती है। इसके विपरीत ईश्वर दिन-दुखियों के आँसू पोंछने में व्यस्त रहता है। वह गिरे हुए को उठाने में लगा रहता है।

5- "दुख में न हार मानूँ , सुख में न तुझे न भूलूँ" पंक्ति में निहित भाव बताइए।

उत्तर - कवि ईश्वर से प्रार्थना करता है कि वह उसमे इतनी क्षमता दे कि वह दुख में हार नही माने साथ ही सुख के क्षणों में उसे (ईश्वर) को भूले नहीं।


(4) निम्नलिखित शब्दों की शुद्ध वर्तनी लिखिए----

      दुआर, उतथान, आंख, स्वरग, कठनाइ,सुअश, सोंदर्य

उत्तर- द्वार, उत्थान, आँख, स्वर्ग, कठिनाई, सुयश, सौन्दर्य।


(5) निम्नलिखित शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए--

    बाट, आँसू, पतित, संग़ठन, अनित्यता

उत्तर-- बाट= माँ कब से बेटे की बाट देख रही है।

      आँसू = हमे किसी भी हाल में आँसू नहीं बहाना चाहिए।

      पतित = ईश्वर पतितों का उद्धार करता है।

      संगठन = हमे किसी संगठन की तरह काम करना चाहिए।

     अनित्यता = हमे इस संसार की अनित्यता में खो नहीं जाना चाहिए।



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