Madanmohan Malviya | | Class 6 | Hindi | C5

   
  

पाठ- 5

मदनमोहन मालवीय 

जगदीश गोयल





प्रश्न अभ्यास          

शब्दार्थ

स्नेह = प्रेम ।
अनुरोध = विनती, प्रार्थना।
अभियुक्त = दोषी।
सनसनीपूर्ण = रोमाँचक।
विधि = वकालत।
शब्दार्थ-मंत्रमुग्ध = मोहित हो जाना।
निर्मल =स्वच्छ, साफ।
खूबी =विशेषता।
कीर्ति =यश । 
ख्याति=प्रसिद्धि 

 

1. कालाकांकर नरेश …………………. बचा लिया।

प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक सुगम भारती-6 में संकलित लेख ‘मदनमोहन मालवीय’ से ली गई हैं। इसके लेखक हैं-जगदीश गोयल । मदनमोहन मालवीय की प्रशंसा करते हुए लेखक कहता है कि

व्याख्या-वे एक बहुत बड़े देशभक्त थे। उनका स्वभाव भी बहुत सरल और सीधा था। शायद यही कारण था कि कालाकांकर, नरेश राजा रामपाल सिंह को उनसे विशेष प्रेम तथा लगाव था। मदनमोहन मालवीय वकालत की पढ़ाई नहीं करना चाहते थे। लेकिन राजा रामपाल सिंह के अनुरोध पर उन्होंने विधि की पढ़ाई की। राजा रामपाल सिंह पढ़ाई के लिए बराबर दो सौ रुपया देते रहने का वायादा किया। विधि की पढ़ाई के बाद उन्होंने हाईकोर्ट में वकालत शुरू कर दी। वकालत के क्षेत्र में बहुत जल्दी उन्होंने अपनी प्रसिद्धि स्थापित कर दी। वह बहुत अच्छी बहस कर लेते थे।

तभी तो चौरी चौरा कांड के अभियुक्तों को फांसी से बचा लिया। फारवरी 1922 में गोरखपर जिले के चौरी चौरा नामक स्थान पर एक सनसनीखेज घटना घटी जिसमें उग्र जनता ने पुलिस थाना को जता दिया। इस कांड में 151 लोगों को अभियुक्त ठहराया गया। केस चलने पर सेशन जज ने इन सभी को फांसी की सजा दे दी। लेकिन जैसे ही यह मामला होई कोर्ट में गया और पैरवी के लिए मालवीय जी को बुलाया गया, सबकुछ बदल गया। मालवीय जी ने इतनी अच्छी बहस की कि सभी अभियुक्त बेदाग निर्दोष साबित कर दिए गए। मालवीय की यह बहुत बड़ी सफलता थी। वह बहस करने में कितने माहिर थे, यह भी स्पष्ट हो जाता है।

विशेष

भाषा सरल और सहज है।

मालवीय जी के देश प्रेम को उजागर किया गया है।

2. मदनमोहन मालवीय ………………. करते थे।

प्रसंग-पूर्ववत्

व्याख्या-मदनमोहन मालवीय एक उच्चकोटि के देशभक्त थे। उनका देशप्रेम अद्वितीय था। त्याग की भावना उनमें कूट-कूटकर भरी थी। उनकी बोली में भी मिठास थी, वह असाधारण थी। वह बहुतों के लिए प्रेरणा के स्रोत थे। उनमें भाषण देने की कला भी थी। एक अच्छा वक्ता होने के नाते जब वे बोलने लगते थे, तो सभी लोग मंत्रमुग्ध हो जाते थे। वह बाहर से जैसे साफ-सुथरा और निर्मल थे, वैसे ही अंदर से भी। उनके अंदर किसी के प्रति कोई द्वेष न था। मेहनत करने में कभी पीछे नहीं हटते थे। किंतु जब यश लूटने का समय आता था तब दूसरों को आगे कर देते थे। यह उनकी सबसे बड़ी विशेषता थी। यह ऐसी विशेषता थी जो बहुत कम लोगों में होती है। इस प्रकार मदनमोहन मालवीय एक श्रेष्ठ इंसान तो थे ही, एक बहुत बड़े देशभक्त भी थे, जिनके लिए देशसेवा सबसे बड़ा धर्म था।

विशेष

बहुत ही सहज भाषा का प्रयोग कर मदनमोहन मालवीय के उत्कृष्ट गुणों को उद्धृत किया गया है।

शैली बोधगम्य है।

मदनमोहन मालवीय ने सच्चरित्रता पर विशेष बल दिया है। अगर आज के संदर्भ में इसकी महत्ता का आकलन करें तो यह ज्यादा प्रासंगिक है।


वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1. (क) सही जोड़ी बनाइए

1. महामना   –      (क) गोरखुपर

2. हिन्दू.       –      (ख) आंदोलन

3. असहयोग  –     (ग) मदनमोहन मालवीय

4. चौरी चौरा  –     (घ) विश्वविद्यालय

उत्तर

1. (ग),  2. (घ), 3. (ख), 4. (क)

प्रश्न (ख) दिए गए शब्दों में से उपयुक्त शब्द चुनकर रिक्त स्थानो की पूर्ति करें

1. कालाकांकर नरेश ने मालवीय जी को वकालत पढ़ने के लिए…..किया। 

                                                                               (मजबूर उत्साहित)

2. चौरीचौरा नामक स्थान में……..घटना घटी। 

                                                                          (सनसनीपूर्ण/उत्तेजक)

3. ……पाने का समय आता तो वे दूसरों को सामने कर देते। 

                                                                                 (कीर्ति/अपकीति)

4. विधि की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने……में वकालत शुरू कर दी। 

                                                                          (सुप्रीमकोर्ट/हाईकोर्ट)

उत्तर

1. मजबूर

2. सनसनीपूर्ण

3. कीर्ति

4. हाईकोर्ट।


अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में दीजिए।

(क) मदनमोहन मालवीय जी के नाम का लोग कौन-सा सुंदर अर्थ करते थे?

उत्तर - वह मद न मोह न मालवीय है। अर्थात् ऐसा |व्यक्ति जिसमें मद व मोह नहीं है।

(ख) वकालत के क्षेत्र में मालवीय जी को सबसे बड़ी सफलता कब मिली?

उत्तर - जब उन्होंने चौरी-चौरा कार के अभियुक्तों को फांसी से बचा लिया।

(ग) मालवीय जी ने किन समाचार पत्रों का संपादन किया था?

उत्तर - लीडर और हिंदुस्तान का।

(घ) मदनमोहन मालवीय जी ने अपने जीवन में कौन-सा सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कार्य किया?

उत्तर -उन्होंने अपने जीवन में समाजसेवा का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कार्य किया।

(ङ) मालवीय जी के निःस्वार्थ जीवन की कहानी हमें क्या शिक्षा देती है?

उत्तर - मालवीय जी के निःस्वार्थ जीवन की कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि हम भी उनकी तरह बनने की कोशिश करें।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 3. निम्नलिखत प्रश्नों के उत्तर तीन-से-पाँच वाक्यों में दीजिए

(क) मदनमोहन अपने को भारत का भिखारी क्यों मानते थे?

उत्तर - मदनमोहन मालवीय ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की। इस काम के लिए उन्हें पैसे की जरूरत थी। पैसे इकट्ठा करने के लिए वह झोली लेकर देश के कोने-कोने में घूमे। उनमें एक ऐसी विशेषता थी कि जिसके द्वार पर वह पहुँचते थे, वहाँ से खाली हाथ न लौटते थे। मालवीय अपने को भारत का भिखारी मानते थे।

(ख) ‘मालवीय जी की वाणी बहती गंगा के समान थी।’ समझाइए।

उत्तर - मालवीय जी एक सच्चे देशभक्त थे। उनकी बोली में एक अजीब तरह की मिठास थी। जब वह भाषण देने लगते थे तो लोग मंत्रमुग्ध हो जाते थे। उनकी वाणी से लोगों को प्रेरणा मिलती थी। जो भी उनके संपर्क में आता उनसे प्रभावित हुए बिना नहीं रहता। इस कारण उनकी वाणी की तुलना बहती गंगा से की गई है।।

(ग) चौरी चौरा कांड में मालवीय जी की क्या भूमिका यी?

उत्तर -मालवीय जी वकालत के क्षेत्र में काफी ख्याति अर्जित की। अपनी वकालत के बल-पर उन्होंने चौरी चौरा कांड के अभियुक्तों को फांसी से बचा लिया। फरवरी 1922 में गोरखपुर जिले से चौरी-चौरा नाम के स्थान में एक सनसनी पूर्ण घटना घटी जिसमें जनता ने पलिस थाना को जला दिया। मुकदमा चलने पर रोशन जज ने 151 लोगों को फांसी की सजा दे दी। जब मामला हाईकोर्ट में गया तो पैरबी के लिए मालवीय जी को बुलाया गया। मालवीय जी इतनी अच्छी बहस की कि सभी अभियुक्त साफ बच गए।

(घ) मालवीय जी ने हिंदी की उन्नति के लिए क्या किया?

उत्तर - मालवीय जी ने अपने स्तर पर हिंदी को काफी ऊपर उठाया। एक समय था जब अदालतों में हिंदी में अर्जी देना एक कठिन काम था। मालवीय जी ने जी तोड़-कोशिश करके अदालतों में हिंदी का प्रचार करवाया। जहाँ तब संभव होता वह हिंदी में ही भाषण देते। कई बार अंग्रेजी पढ़े-लिखे लोगों के बीच में और विश्वविद्यालय की सभाओं में भी वे हिंदी में बोलते थे।

(ङ) काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना मालवीय जी ने किन उद्येश्यों के लिए की थी?

उत्तर - मालवीय जी ने देश के नवयुवकों के चरित्र निर्माण पर विशेष बल दिया। उनको उचित शिक्षा मिले, इसके लिए उन्होंने हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की। इस विश्वविद्यालय में पढ़कर वे शुद्ध, सात्विक, तेजस्वी और वीर पुरुष बनेंगे।


भाषा की बात

प्रश्न 4. निम्नलिखित शब्दों का शुद्ध उच्चारण करें

नररत्न, विविद्यालय, स्थापना, व्यक्तित्व, सनसनी, महर्षि मंत्रमुग्ध, प्रेरणा।

उत्तर - छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 5. -निम्नलिखित शब्दों की वर्तनी शुद्ध कीजिए

द्रष्टि, खयाति, कीर्ती, उननति, अनूरोध

उत्तर - दृष्टि, ख्याति, कीर्ति, उन्नति, अनुरोध

प्रश्न  6. नीचे लिखे वाक्यों में से सर्वनाम छांटकर उनके भेद लिखिए

1. सचिन ने कह दिया कि वह काम नहीं करेगा।

2. यह मेरी पुस्तक है।

3. जैसी करनी वैसी भरनी।

4. तुम क्या खाओगे? 

5. मैं अपने आप निबंध लिख सकती हूँ।

6. पुलिस को शायद मुझ पर संदेह है।

उत्तर - 

1. सचिन ने कह दिया कि वह काम नहीं करेगा।

सर्वनाम शब्द- वह, सर्वनाम भेद - पुरुष वाचक।

2. यह मेरी पुस्तक है।

सर्वनाम शब्द- मेरी, सर्वनाम भेद - संबंध वाचक।

3. जैसी करनी वैसी भरनी।

सर्वनाम शब्द- वैसी, सर्वनाम भेद - संबंध वाचक।

4. तुम क्या खाओगे? 

सर्वनाम शब्द- तुम, सर्वनाम भेद - पुरुष वाचक।

5. मैं अपने आप निबंध लिख सकती हूँ।

सर्वनाम शब्द- अपने आप, सर्वनाम भेद - निज वाचक।

6. पुलिस को शायद मुझ पर संदेह है।

सर्वनाम शब्द- मुझ पर, सर्वनाम भेद - निज वाचक।


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