पाठ 14
सहनशीलता
- रामधारी सिंह दिनकर
प्रश्न अभ्यास
शब्दार्थ
रिपु = शत्रु
विनत = विनम्र
अधीर = व्याकुल, धैर्य का अभाव
गरल = विष
नाद = आवाज
देह = शरीर
दीप्ति =चमक
दर्प = घमंड
मनोबल = मन की शक्ति
सुयोधन = दुर्योधन का वास्तविक नाम
समक्ष = सामने
भुजंग = कालानाग
पथ = मार्ग
अनुनय= विनती
शर = बाण
धर = धारण करना
संपूज्य = पूजनीय
जग = संसार
1. क्षमा,दया,तप,त्याग,मनोबल सबका लिया सहारा
पर नरव्याघ्र, सुयोधन तुमसे ,कहो, कहाँ ,कब हारा
प्रसंग = प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक सुगम भारती 6 में संकलित कविता "सहनशीलता" से ली गई है इसके कवि रामधारी सिंह दिनकर जी हैं।
व्याख्या = कवि ने महाभारत के प्रसंग को लेकर युधिष्ठिर की सहनशीलता का परिचय दिया है। श्रीकृष्ण युधिष्ठिर को समझाते हुए कहते हैं कि तुमने तो हमेशा ही क्षमा, दया, तप, त्याग और मनोबल का सहारा लिया किन्तु सुयोधन पर उसका कोई असर नही पडा। उसने कभी तुम्हारे सामने हार नहीं मानी। अतः तुम्हे उसके सामने अपनी शक्ति दिखानी पड़ेगी। अपने शत्रु के आगे विनयशील बनने से अच्छा है उसे अपनी ताकत दिखाओ।
इस प्रकार इन पंक्तियों के माध्यम से कवि ने सहनशीलता की प्रशंसा तो की ही है, लेकिन कभी-कभी उसके साथ पौरुष बल दिखाने की भी आवश्यकता पड़ती हैं।
2.क्षमा शोभती उस भुजंग को, जिसके पास गरल हो।
उसको क्या,जो दंतहीन, विषरहित, विनीत, सरल हो।
प्रसंग = पूर्ववत।
व्याख्या= महाभारत के प्रसंग को लेकर युधिष्ठिर की सहनशीलता का परिचय दिया गया है। श्रीकृष्ण युधिष्ठिर को समझाते हुए कहते हैं कि तुमने हमेशा से ही क्षमा, दया, तप आदि का सहारा लिया है, लेकिन सुयोधन पर उनका कोई असर नहीं हुआ है। तुम अपने दुश्मन के आगे क्षमाशील बने रहे और वह तुम्हे कायर समझता रहा। क्षमा दरअसल उसी को शोभा देती है जो शक्तिशाली है। जो स्वयं कमजोर है, वह किसी को क्या क्षमा दे सकता है। श्रीकृष्ण एक उदाहरण द्वारा इसकी पुष्टि करते है। वे कहते हैं कि विष वाला सर्प अगर तुम्हें छोड़ दें अर्थात काटे नही तब हम कह सकते है कि उसने तुम पर कृपा की।लेकिन जो सांप विषहीन और दंतहीन हैं, उसकी क्षमा के लिए कोई मोहताज नहीं होता है।
3. सिंधु देह धर ,त्राहि-त्राहि करता आ गिरा शरण में।
चरण पूज दासता ग्रहण की,बंधा मूढ़ बंधन में।
प्रसंग= पूर्ववत।
व्याख्या = राम 3 दिनों तक समुद्र की पूजा कर उससे रास्ता देने के लिए आग्रह करते हुए। लेकिन समुद्र अनसुनी करता रहा। आखिरकार राम की सहनशीलता खत्म हो गई। वे क्रोधित हो उठे। जब क्रोध में आकर उन्होंने समुद्र को जला देने के लिए अपना धनुष उठाया, तब वही समुद्र त्राहि-त्राहि करते हुए राम के चरणों में गिर पड़ा। उसने सदा के लिए राम की दासता स्वीकार कर ली। इसलिए श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को समझाते हुए कहा कि उसे भी अब सहनशीलता छोड़नी चाहिए और अपने शत्रु के सामने अपना असली रूप दिखाना चाहिए।
1. (क) सही जोड़ी बनाइए।
1 दीप्ति (क) व्याघ्र
2 सहन (ख) विनय
3 नर (ग) हीन
4 दंत (घ) शीलता
उत्तर =1. ख, 2. घ, 3. क , 4. ग।
प्रश्न2 (ख) दिए गए विकल्पों में से उपयुक्त विकल्प चुनकर रिक्त स्थान भरिए
1.नर व्याघ्र -------- को कहा गया है। (युधिष्ठिर/ दुर्योधन)
2. रामचंद्र सिंधु के किनारे ---------- तक पथ मांगते रहे (तीन दिवस / पाँच दिवस)
3. उठी अधीर धधक पौरुष की आग राम के --------- से (शर/बल)
4. क्षमा सोभति उस भुजंग को जिसके पास-----------(अभिय/गरल)
उत्तर= 1 दुर्योधन 2 तीन दिवस 3 शर 4 गरल
अति लघु उत्तरीय प्रश्न।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में दीजिए।
1. कौरवों ने कायर किसको समझा?
उत्तर = कौरवों ने पांडवों को कायर समझा।
2. क्षमा किसे शोभती है?
उत्तर= क्षमा उसे शोभती है जिसके पास दम है, ताकत है, साहस है।
3. सिंधु से रास्ता किसने माँगा?
उत्तर= सिंधु से रास्ता राम ने माँगा।
4. इस कविता में "सुयोधन" संबोधन का प्रयोग किसके लिए किया है?
उत्तर = इस कविता में "सुयोधन " का संबोधन दुर्योधन के लिए किया गया है।
5. किन गुणों को सारा जग पूजता है?
उत्तर = सहनशीलता, क्षमा और दया, तप और त्याग जैसे गुणों को सारा जग पूजता है।
लघु उत्तरीय प्रश्न।
1. कौरवों ने कायर किसको समझा?
उत्तर = कौरवों ने पांडवों को कायर समझा।
2. क्षमा किसे शोभती है?
उत्तर= क्षमा उसे शोभती है जिसके पास दम है, ताकत है, साहस है।
3. सिंधु से रास्ता किसने माँगा?
उत्तर= सिंधु से रास्ता राम ने माँगा।
4. इस कविता में "सुयोधन" संबोधन का प्रयोग किसके लिए किया है?
उत्तर = इस कविता में "सुयोधन " का संबोधन दुर्योधन के लिए किया गया है।
5. किन गुणों को सारा जग पूजता है?
उत्तर = सहनशीलता, क्षमा और दया, तप और त्याग जैसे गुणों को सारा जग पूजता है।
लघु उत्तरीय प्रश्न।
प्रश्न 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन से पाँच वाक्यों में दीजिए
1. नर व्याघ्र का प्रयोग कवि ने क्यों किया है?
उत्तर= कवि ने नर व्याघ्र का प्रयोग सुयोधन (दुर्योधन) के लिए किया है। वह आदमी होकर भी जानवर जैसा बर्ताव कर रहा था । उस में मानवता नाम की कोई चीज नहीं थी इसलिए कवि ने नर व्याघ्र का प्रयोग किया है।
2. सागर किस के चरणों में आ गिरा और क्यों?
उत्तर = सागर राम के चरणों में आ गिरा क्योंकि वह राम के क्रोध को देखकर डर गया। उसे लगा कि राम अपने बाणों से उसे जलाकर भस्म कर देंगे।
3. क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर= उपरोक्त पंक्तियों का शाब्दिक अर्थ है
विष वाला सांप अगर आपको नहीं काटता है, तो इसका मतलब है कि उसने आप पर उपकार किया। अर्थात क्षमा उस व्यक्ति को शोभा देती है जो ताकतवर है और कर्तव्यनिष्ठ है।
4. सच पूछो तो शर में ही बसती है दीप्ति विनय की पंक्ति के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?
उत्तर= उपरोक्त पंक्ति के माध्यम से कवि यह कहना चाह रहा है कि बाणों में विनय का तेज भी निहित होता है। उसी के साथ कोई संधि चाहता है। उसी को लोग पूछते हैं और अंत में जीत भी उसी की होती है।
5. कवि इस कविता के माध्यम से क्या संदेश देना चाहता है?
उत्तर = क्षमा किसी सुपात्र को शोभा देता है संग्राम आप यदि किसी दुर्जन को क्षमा करते हैं तो वह आप को कमजोर समझ आएगा। क्षमा देने का अधिकार केवल सक्षम और शक्तिशाली को होता है। कमजोर क्या किसी को क्षमा करेगा।
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