Abhinandaniya Bharat | Class 6 | Hindi | C4

    



पाठ- 4

अभिनंदनीय भारत

सत्यवती मलिक




प्रश्न अभ्यास          

शब्दार्थ

मुकुट  -  ताज। 

जग - संसार, दुनिया। 

अर्चना - पूजा, प्रार्थना।

शाश्वत -  अमर, सनातन 

आलोक=प्रकाश, रोशनी। 

पथिक = राहगीर । 

अविराम = लगातार । 

ज्योति= रोशनी। 

शिखा=प्रकाश की लौ। 

अर्चना=पूजा।

1. जिसका मुकुट हिमालय, जग जगमगा रहा है,

सागर जिसे रतन की, अंजलि चढ़ा रहा है, 

वह देश है हमारा, ललकार कर कहेंगे, 

उस देश के बिना हम, जीवित नहीं रहेंगे। 

हम अर्चना करेंगे।

प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक सुगम भारती-6 में संकलित कविता ‘अभिनन्दनीय भारत’ से ली गई हैं। इसमें कवि ने भारत की महिमा का गुणगान किया है।

व्याख्या-कवि कहता है कि भारत महिमावान और गौरवशाली हैं इसका मुकुट हिमालय है, जो सारी दुनिया में जगमगा रहा है। भारत के पास रत्नों से भरा सागर है जो हिमालय के पैर को पखारता है। कवि ऐसे देश में जन्म लेने की वजह से गौरवान्वित महसूस कर रहा है। वह कहता है कि इस देश से अलग उसका कोई अस्तित्व नहीं है। भारत से अलग रहकर वह जी नहीं सकता। वह तो केवल उसकी पूजा अर्चना करना चाहता है। क्योंकि इसी में उसका जीवन है और इसी में उसके अस्तित्व की सार्थकता है।

विशेष

कवि का देश के प्रति भक्ति और प्यार ‘उमड़ पड़ा है, जिसे सहज शैली में व्यक्त किया गया है।

शब्दों का प्रयोग बोधगम्य है।

2. शाश्वत स्वतंत्रता का जो दीप जल रहा है,

आलोक का पथिक जो अविराम चल रहा है, 

विश्वास है कि फ्लभर, रुकने उसे न देंगे, 

उस ज्योति की शिखा को, ज्योतित सदा रखेंगे। 

हम अर्चना करेंगे।

प्रसंग-पूर्ववत्

व्याख्या-कवि कहता है कि भारत अब स्वतन्त्र है। उसकी स्वतंत्रता का दीप अमर है अर्थात् कभी-नहीं बुझने वाला है। स्वतंत्रता रूपी दीप राहगीरों को रास्ता दिखाएगा। कवि विश्वास दिलाता है कि वह पलभर भी इस रोशनी को धुमिल नहीं होने देगा। उसकी ज्योति को बरकरार रखेगा, उसकी लौ को हिलने तक नहीं देगा।

कवि को अपने देश पर गर्व है। वह जीवन भर उसकी आराधना करना चाहता है।

विशेष

कवि एक सच्चे देशभक्त की भांति देश की वंदना कर रहा है।

कविता की शैली सहज और बोधगम्य है। शब्दों का प्रयोग भी सुगम है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1. (क) सही जोड़ी बनाए

1. कर्मभूमि      –  (क) शिखा

2. मुकुट          –  (ख) सुरभि

3. संस्कृति        –  (ग) हिमालय

4. ज्योति           –  (घ) भारत

उत्तर - 1. (घ), 2. (ग), 3. (ख), 4. (क)

 (ख) दिए गए शब्दों में से उपयुक्त शब्द चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

1. जीवन…..चढ़ाकर आराधना करेंगे। (सुमन सुगंध)

2. तू प्राण है, हमारी……समान तू है। (जननी/भगिनी)

3. वह देश है हमारा…..कर कहेंगे। (पुकार/ ललकार)

4. आलोक का पथिक जो……चल रहा है। (अभिराम/अविराम)

उत्तर

1. सुमन

2. जननी

3. ललकार

4. अविराम।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में दीजिए

(क) कर्मभूमि का अर्थ क्या है?

उत्तर - कर्मभूमि का अर्थ है वह स्थान जहाँ हम काम करते हुए जीते हैं।

(ख) कवि जनम-जनम भर किसकी वंदना करने की बात कहता है?

उत्तर -कवि जनम-जनम भारत की वंदना करने की बात कहता है।

(ग) भारत का मुकुट किसे कहते हैं?

उत्तर -हिमालय को भारत का मुकुट कहते हैं।

(घ) सागर की अंजलि में क्या है?

उत्तर- सागर की अंजलि में रत्न हैं।

(ङ) स्वतंत्रता का दीपक किस तरह जल रहा है?

उत्तर - स्वतंत्रता का दीप अविराम जल रहा है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 3. निम्नलिखत प्रश्नों के उत्तर तीन-से-पाँच वाक्यों में दीजिए

(क) ‘जन्मभूमि’ और ‘कर्मभूमि’ से कवि का क्या आशय है?

उत्तर - कवि के कहने का तात्पर्य है कि वह भारत जैसे महान् देश में जन्म लेने का गौरव प्राप्त किया है। इसी देश को उसने अपना कर्मभूमि भी बनाया है अर्थात देश के लिए काम करते हुए जीएगा और उसी के लिए अपना प्राण न्योछापर भी करेगा।

(ख) कवि जन्मभूमि के लिए जीने-मरने की बात – क्यों करता है?

उत्तर - कवि कहता है कि भारत उसकी जन्मभूमि है। उसकी यह जन्मभूमि माता के सदृश है। वह माता के लिए जीना चाहता है और उसकी रक्षा में अगर उसे प्राण भी देने पड़े तो वह पीछे नहीं हटेगा।

(ग) देश की सीमाओं के संदर्भ में कवि ललकार कर क्या कहना चाहता है?

उत्तर - कवि कहता है, कि भारत का मुकुट हिमालय है जिसके पैरों को पखारने वाले सागर में असीम रत्न भरे पड़े हैं। इस गौरवशाली देश के बिना उसका कोई अस्तित्व नहीं है। वह इस देश के बिना जी नहीं सकता।

(घ) संस्कृति को दुर्जेय-सी क्यों कहा गया है?

उत्तर - भारत की संस्कृति पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। कोई भी देश उसका मुकाबला नहीं कर पाया है। इस नाते वह दुर्जेय है।

(ङ) कविता का केन्द्रीय भाव तीन-से-पाँच वाक्यों में लिखिए।

उत्तर - कवि भारत जैसे देश में जन्म लेने के कारण गौरवान्वित महसूस करता हैं। वह जनम-जनम तक उसकी पूजा-अर्चना करना चाहता है। भारत की सभ्यता और संस्कृति अनमोल है। इसके उत्तर में स्थित हिमालय इसको और अधिक गौरवशाली बना देता है। दक्षिण में स्थित सागर रत्नों से भरा है। भारत स्वतंत्रता का दीप अविराम जला रहा है।

भाषा की बात

प्रश्न 4. निम्नलिखित शब्दों का शुद्ध उच्चारण कीजिए

संस्कृति, कुंज, शाश्वत, वन्दनीय, अर्चना।

उत्तर - छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 5. निम्नलिखित शब्दों की वर्तनी शुद्ध कीजिए

बिसाल, हीमालय, शास्वत, आविराम, अजंली

उत्तर -

विशाल

हिमालय

शाश्वत

विराम

अंजलि

प्रश्न 6. निम्नलिखित शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए

जन्मभूमि, स्वतन्त्रता, साधना, दीप, आलोक

उत्तर - जन्मभूमि-हमें अपनी जन्मभूमि के प्रति कर्तव्यों को नहीं भूलना चाहिए।

स्वतन्त्रता - स्वतंत्रता सभी चाहते हैं। 

साधना - कोई भी काम बिना साधना के नहीं होता।

दीप - मंदिर में दीप जलाया गया।

आलोक - इस कविता के आलोक में सब तत्व फीके है।

प्रश्न 7. निम्नलिखित शब्दों में से उपसर्ग और मूल शब्द अलग-अलग कीजिए

अनुकूल, पराजय, विक्रम, उपयोग, अपकार, अनुसार

उत्तर -अनुकूल-अनु (उपसर्ग), कूल (मूल शब्द)

पराजय -परा (उपसर्ग), जय (मूल शब्द)

विक्रम -वि (उपसर्ग), क्रम (मूल शब्द)

उपयोग-उप (उपसर्ग), योग (मूल शब्द)

अपकार-अप (उपसर्ग), कार (मूलशब्द)

अनुसार-अनु (उपसर्ग), सार (मूलशब्द)

प्रश्न 8. निम्नलिखित शब्दों के हिन्दी मानक रूप लिखिए

जनम, रतन, करम, धरम, प्रान, चरन, प्रवीन

उत्तर -जन्म, रल, कर्म, धर्म, प्राण, चरण, प्रवीण

प्रश्न 9. निम्नलिखित शब्दों में से संज्ञा शब्द छांटकर लिखिए

विशाल, मंदिर, मुकुट, ध्वजा, वंदनीय, भारत, हिमालय, स्वतंत्रता, सागर, अंजलि।

उत्तर - संज्ञा शब्द-मंदिर, मुकुट, ध्वजा, भारत, हिमालय, सागर।

प्रश्न 10. निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए

सागर, पवन, जग, जननी, सुमन

उत्तर - समुद्र, सलिल, वायु, समीर, संसार, दुनिया, माता, माँ, फूल, पुष्प


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