पाठ- 11
नयी सुबह
प्रश्न अभ्यास
शब्दार्थ
अनमनी = उदास
छलावा = धोखामानवतावादी = मनुष्यों के प्रति सहानुभूति रखने वाला
1. गीता ने विवशता से कहा, “माँ, सब साधनों से सुख नहीं मिलता। लोग अच्छे होने चाहिए। आपने शंभुपरा वालों का रिश्ता उनकी गरीबी के कारण ठुकराया, पर मुझे लगता है कि वे लोग अच्छे हैं।
शब्दार्थ-विवशता = मजबूरी। रिश्ता=संबंध ठुकराना= इंकार करना।
प्रसंग - प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक सुगम भारती-6 में संकलित कहानी ‘नई सुबह" से ली गई हैं। इसमें दहेज जैसी समस्या को उठाया गया है।।
व्याख्या-रामनाथ जी अपनी बेटी गीता की शादी इंजीनियर लड़का से तय कर दी है। परिवार में सभी खश हैं। एक तो लड़का इंजीनियर और ऊपर से बिल्कुल राजकुमार जैसा। आखिर लोग खुश क्यों न हों। लेकिन लड़का का पिता लालची निकला। उसे अपने इंजीनियर बेटे पर घमंड है। उसे अच्छा-खासा दहेज चाहिए। रामनाथ जी के लिए दहेज जुटाना मुश्किल है। गीता को लालची लोग बिल्कुल पसंद नहीं। वह माँ से इस बारे में बात करती है।
लेकिन माँ उसकी बात नहीं सुनती है। माँ की नजरों में हर बेटा वाला थोड़ा नाज-नखरा दिखाता है। वह गीता को समझाती है कि वह बहुत किस्मत वाली है जो उसे इतना अच्छा घर-बर मिल रहा है। सुख के सभी साधन । लंडका वालों के यहाँ है। गीता वास्तविकता में जीती है। वह कहती है कि सुख-शांति से जीवन जीने के लिए अच्छे लोगों की जरूरत है न कि धन-दौलत और सब तरह के साधनों की। वह बाप से विनती करती है कि वे उसका रिश्ता इन लालची लोगों के यहाँ न कर शंभुपुरा बालों से करें। वे गरीब जरूर हैं लेकिन सही मायने में मानव हैं। इस प्रकार इन पंक्तियों में यह बताया गया है कि सुख-शांति के लिए व्यक्ति का भला होना आवश्यक है। लालची व्यक्ति कभी किसी चीज का सुख नहीं दे सकता।
2. रघुनाथ जी बहुत ही मिलनसार मानवतावादी थे। वे गीता जैसी सुशील, सुंदर बहू पाने की सोचकर बहुत खुश हुए। उन्होंने सहर्ष यह, रिश्ता स्वीकार कर लिया
और अपने कुछ सगे-संबंधियों को लेकर लग्न मंडप में पहुँच गए।
शब्दार्थ-मानवतावादी मनुष्यों के प्रति सहानुभूति रखने वाला रिश्ता-संबंध। सहर्ष - तत्क्षण।
प्रसंग-पूर्ववत्
व्याख्या-रामनाथ जी ने अपनी बेटी गीता की शादी इंजीनियर लड़का से तय किया है। लड़के का पिता दहेज का लालची है। उसे अच्छा-खासा दहेज चाहिए। रामनाथजी के लिए यह काम बिल्कुल असंभव-सा प्रतीत होता है। गीता भी नहीं चाहती कि लालची लोगों के घर में उसकी शादी हो। आखिरकार बारातियों के नाज-नखरे उठाते-उठाते सभी परेशान हो गए। गीता यह सब देख देखकर अलग दुखी हो रही थी। अंत में उसे मुंह खोलना ही पड़ा। उसने पिताजी से शंभुपुरा वालों के घर जाने का अनुरोध किया। यहीं पर गीता की शादी की बात पहले-पहल चली थी।
लेकिन गीता के घर वालों ने गीता की शादी यहाँ करने से इसलिए इंकार कर दिया क्योंकि यह लोग गरीब थे। रामनाथ ने गीता की बात चुपचाप मान ली। वे तुरंत शंभुपुरा पहुँच गए और रघुनाथ जी से गीता को बहू बना लेने का अनुरोध किया। रघुनाथ ने रामनाथजी का अनुरोध तुरंत स्वीकार कर लिया। वे तत्क्षण अपने सगे-संबंधियों को लेकर लग्न मंडप में पहुँच गए और गीता को अपनी बहू बना लिया।
2. सजी (ख) प्रार्थी
3. क्षमा (ग) अप्रत्यक्ष
4. प्रत्यक्ष (घ) संबंधी
उत्तर = 1. (घ) 2. (क) 3. (ख) 4. (ग)
2.----------- हैं, थोड़ा बहुत तो तंग करते हैं ।(घराती/बराती)
3. थोड़ी देर पहले जो रौनक थी वह -----------हो गई। (समाप्त/आरंभ)
4. सब तरफ ------------हुई सो अलग। (प्रशंसा/बदनामी)
उत्तर= 1. धन 2. बराती 3. समाप्त 4. बदनामी
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
लघुउत्तरीय प्रश्न
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