पाठ- 9
साहस
प्रश्न अभ्यास
शब्दार्थ
सर्वाच्च = सबसे ऊँचा।
बलिष्ठता=ताकत।
सराहना = प्रशंसा करना।
आत्मोत्सर्ग= स्वयं का बलिदान करना।
बहुधा =प्रायः, अक्सर ।
मदांध = मद से=अंधा।
1. सर्वोच्च श्रेणी के साहस के लिए हाथ-पैर की बलिष्ठता आवश्यक नहीं। धन मान इत्यादि का होना भी आवश्यक नहीं। जिन गुणों का होना आवश्यक है, वे हैं - हृदय की पवित्रता तथा उदारता और चरित्र की दृढ़ता। ऐसे गुणों की प्रेरणा से उत्पन्न हुआ साहस तब तक पूर्णतया प्रशंसनीय नहीं कहा जा सकता जब तक उसमें एक और गुण सम्मिलित न हो। इस गुण का नाम है ‘कर्तव्यपरायणता’।
प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक सुगम भारती-6 में संकलित निबंध ‘साहस’ से उद्धृत है। इसके निबंधकार हैं-गणेश शंकर विद्यार्थी। इसमें साहस की महान्ता का वर्णन किया गया है।
व्याख्या - निबंधकार का कहना है कि साहस जीवन का सबसे बड़ा मंत्र है। उच्च श्रेणी के साहस के लिए यह जरूरी है कि वह व्यक्ति शरीर से ताकतवर हो, बलिष्ठ हो। इसके लिए धन दौलत और मान-सम्मान की भी आवश्यकता नहीं है। इसके लिए उदार और पवित्र हृदय की आवश्यकता है। चरित्र की दृढ़ता भी उतनी है जरूरी है। दृढ़ चरित्र वाला ही उच्च श्रेणी का साहस दिखा सकता है। इन तमाम गुणों के ऊपर है कर्त्तव्यपरायणता, जिसके बिना साहस अधूरा रह जाएगा। कर्तव्य ज्ञान के अभाव में मनुष्य पशु के समान है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि उच्च कोटि के साहस के लिए हदय की पवित्रता, उदारता, चरित्र की दृढ़ता और कर्त्तव्यपरायणता परम आवश्यक है।
2. सत्साहसी ……………………. नहीं देता है।
प्रसंग-पूर्ववत्
व्याख्या - निबंधकार के अनुसार साहसी व्यक्ति के लिए स्वार्थ-रहित होना अतिआवश्यक है। उसके अंदर एक छिपी हुई शक्ति होती है, जिसके बलपर वह असहाय लोगों का रक्षक बन जाता है। उन्हें बचाने के लिए अपनी जान पर खेल जाता है। जिस समय वह ऐसा काम करता है उस समय वह यह नहीं देखता है या सोचता है कि जिसकी रक्षा वह कर रहा है वह उसका परिचित है या नहीं। जिसके बारे में वह बिल्कुल भी नहीं जानता, उसे भी बचाने में वह पीछे नहीं हटता। अपनी जान की परवाह तो वह जरा भी नहीं करता। इस प्रकार साहसी व्यक्ति स्वार्थ से परे होता है।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1. (क) सही जोड़ी बनाइए
1. अतुलनीय – (क) परायण
2. विशाल – (ख) साहस
3. स्वदेश – (ग) शिखर
4. कर्त्तव्य – (घ) भक्ति
उत्तर - 1. (ख), 2. (ग), 3. (घ), 4. (क)
प्रश्न (ख) दिए गए शब्दों में से उपयुक्त शब्द चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. साहसी के हृदय में…….अत्यंत आवश्यक है।
(पवित्रता/मलिनता)
2. मध्यम श्रेणी का साहस प्रायः……में पाया जाता
(शूरवीरों/कायरों)
3. सर्वोच्च श्रेणी के साहस के लिए…..की बलिष्ठता आवश्यक नहीं है।
(सिर-पैर/हाथ-पैर)
4. उच्चकोटि के साहस के लिए…….बनना परमावश्यक है।
(स्वार्थ परायण/कर्तव्य परायण)
उत्तर
1. पवित्रता
2. शूरवीरों
3. हाथ-पैर
4. कर्तव्य परायण।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में दीजिए।
((क) किसी देश का इतिहास बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका किसकी होती है?
उत्तर - किसी देश का इतिहास बनाने में साहस की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।
(ख) युवक के साहस को प्रशंसा के योग्य क्यों नहीं माना गया?
उत्तर -युवक के साहस को प्रशंसा योग्य इसलिए नहीं माना गया क्योंकि वह क्रोधांध होकर स्वार्थवश साहस दिखाता है।
(ग) कर्त्तव्य ज्ञान शून्य मनुष्य को लेखक ने किसके समान कहा है?
उत्तर - कर्तव्य ज्ञान शून्य मनुष्य को लेखक ने पशु के समान कहा है।
(घ) मौरूदा गांव में किसकी स्मृति में स्तम्भ बनाया
उत्तर - मौरूदा गांव में बुद्धन सिंह जैसे वीरों की स्मृति में स्तम्भ बनाया गया।
(ङ) मध्यम श्रेणी के साहस को ‘निस्तेज-सा’ क्यों कहा गया है।
उत्तर - मध्यम श्रेणी के साहस को ‘निस्तेज-सा इसलिए कहा गया है क्योंकि उसमें ज्ञान की आभा की कभी रहती है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 3. निम्नलिखत प्रश्नों के उत्तर तीन-से-पाँच वाक्यों में दीजिए
(क) साहस किसे कहते हैं? लेखक के अनुसार इसकी कितनी श्रेणियाँ हैं?
उत्तर - साहस का अर्थ है स्वार्थरहित होकर अपने देश और देशवासियों के रक्षार्थ कर्त्तव्य का पालन करना । काम बड़ा हो या छोटा-बिना साहस के नहीं हो सकता। लेखक के अनुसार साहस की कई श्रेणियाँ हैं
नीच श्रेणी का साहस-इस प्रकार का साहस जोर और डाकू दिखाते हैं।
मध्यम श्रेणी का साहस प्राय-शूरवीरों में पाया जाता है।
सर्वोच्च श्रेणी का साहस-ऐसे साहस के लिए कर्तव्यपरायण बनना परमावश्यक है।
(ख) मातृभूमि को संकट में देखकर बुद्धन ने क्या किया?
उत्तर - मातृभूमि को संकट में देखकर बुद्धन का रक्त उबल पड़ा। वह तुरंत अपने एक सौ पचास साथियों को लेकर समय पर अपने देश और राजा की सेवा के लिए मारवाड़ पहुँच गया।
(ग) सर्वोच्च श्रेणी में साहस की विशेषताएँ लिखिए
उत्तर - सर्वोच्च श्रेणी के साहस के लिए हृदय की पवित्रता और उदारता आवश्यक है। चरित्र की दृढ़ता भी उतना ही आवश्यक है। इन गुणों के साथ कर्त्तव्यपरायणता जैसे गुण का होना भी परमावश्यक है।
(घ) साहसी व्यक्ति अपने किन गुणों द्वारा पहचाना जाता है?
उत्तर - साहसी व्यक्ति स्वार्थरहित होता है। वह कर्तव्य परायण होता है। वह कोई भी काम दिखावे के लिए या झूठा यश कमाने के लिए नहीं करता। वह मनुष्य को दुख से बचाने के लिए अपने प्राण तक की परवाह नहीं करता।
(ङ) ‘साहस’ पाठ से आपको क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर - साहस’ पाठ से हमें सही मायने में साहसी बनने की प्रेरणा मिलती है। अपने देश और समाज के लिए कुछ अच्छा करने की प्रेरणा मिलती है।
भाषा की बात
श्न 4. निम्न शब्दों का शुद्ध उच्चारण कीजिए
भीष्म, निर्भीक, चरित्र, निस्तेज
उत्तर - छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 5. -निम्न शब्दों की शुद्ध वर्तनी लिखिए
अभीमन्यु, अतिरिक्त, शक्ती, प्रतयेक
उत्तर -अभिमन्यु, अतिरिक्त, शक्ति, प्रत्येक
प्रश्न 6. -निम्नलिखित मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग कीजिएरक्त उबल पड़ना, जान पर खेलना
उत्तर - रक्त उवल पड़ना-मातृभूमि को संकट में देख महारानी लक्ष्मीबाई का रक्त उबल पड़ा। जान पर खेलना-बारह साल का अमर अपनी जान पर खेलकर अपने दोस्त को डाकुओं के चंगुल से बचाया।
प्रश्न 7. निम्नलिखित शब्दों को बहुवचन में बदलिए
कपड़ा, किरण, झरना, आँख, माला, रोटी
उत्तर - कपड़े, किरणें, झरने, आँखें, मालाएँ, रोटियाँ प्रश्न
प्रश्न 8. निम्नलिखित शब्दों की संधि कीजिए
धन + उपार्जन,
सहायता + अर्थ,
धर्म + आत्मा,
सत् + मार्ग,
तत् + लीन, + निः + पक्ष,
निः + तेज
उत्तर
धन + उपार्जन= धनोपार्जन
सहायता + अर्थ= सहायतार्थ
धर्म + आत्मा=धर्मात्मा
सत् + मार्ग=सत्मार्ग
तत् + लीन= तल्लीन
निः + पक्ष=निष्पक्ष
निः + तेज=निस्तेज
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