MP Board Class 6 Hindi Sugam Bharti Chapter 23 Itne Upar Utho Ki

      पाठ 23

इतने ऊपर उठो कि




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Textual Exercise

प्रश्न अभ्यास

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1 (क) सही जोड़ी बनाइए—
1. नम्र रहो             – (क) फूल लजाओ
2. इतना हंसो        – (ख) बादल कजरारा
3. इठलाओ          – (ग) धरती की माटी
4. मस्त रहो          – (घ) शोभा बिंदिया की

उत्तर—1.(ग), 2.(क), 3.(घ), 4.(ख)।


(ख) दिए गए शब्दो में से उपयुक्त शब्द चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए—

1. ऐसे बढ़ो जैसे ........ बढ़ चलता है। (निर्झर/सागर)
2. इतने बड़े बनो जितना .........महान है। (भूमंडल/सूरज)
3. झूम उमड़ती हुई कि.......जलधारा। (ठंडी/बरसती)
4. जिसमे पानी नहीं, न उसको ........मानो। (जीवित/मृत)
उत्तर
—1. निर्झर, 2. सूरज, 3. बरसती, 4.जीवित।


अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक–एक वाक्य में दीजिए।

(क) कवि ने कितने ऊपर उठने की बात कही है?


उत्तर
— कवि ने आसमान जितना ऊपर उठने की बात कही है।


(ख) धरती की एक विशेषता बताइए।

उत्तर—धरती नम्र होती है।


(ग) सूरज जितना बड़ा बनने की बात क्यों कही गई है?

उत्तर— सूरज पूरी धरती को प्रकाशित करता है और जीवन देता है, इसलिए उसके जितना बडे़ बनने की बात की गई है।


(घ) ‘मुंह की खाएं ' का अर्थ बताइए।

उत्तर—‘मुंह की खाएं’ का अर्थ है—हार जाएं।


(ड़) ‘नदी की लहरे केसे दिखाई देती है’?

उत्तर— नदी की लहरे नाचती हुई दिखाई देती है।


लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन–से–पांच वाक्य में दीजिए।

(क) निर्झर जैसे आगे बढ़ने की बात कवि ने क्यों की है?

उत्तर— निर्झर सदैव चट्टानों और टीलों पर से आगे बढ़ता रहता है। वह अपने राह की रुकावटों को भी उछलकर पार कर जाता हैं। इसलिए कवि ने उसकी तरह आगे बढ़ने की बात की है।


(ख) नम्रता और गंभीरता जैसी विशेषताओं से युक्त कौन है? प्रत्येक के बारे में दो–दो वाक्य लिखिए।

उत्तर– धरती नम्र है। वह सदैव कुछ न कुछ देती है परंतु अपने लिए कुछ नहीं मांगती। सागर गंभीर है। गंभीरता उसकी विरासत है। वह नदियों की तरह चंचल नही होता, अपने स्थान पर गंभीरता पूर्वक खड़ा रहता है।


(ग) ‘हंसने से उपवन के फूल लगते है।’ इस पंक्ति का भावार्थ समझाइए ।

उत्तर– हंसता हुआ चेहरा फूल जैसा लगता है। कवि कहना चाहते है कि मनुष्य को इतना हंसना चाहिए कि फूल भी उसे देखकर लजा जाए। अर्थात चेहरा कभी मुरझाए नही, खिला रहे।


(घ) ‘स्वाभिमानरहित व्यक्ति को जीने का अधिकार नहीं है।’ कवि के इस कथन का अर्थ क्या है?

उत्तर—स्वाभिमान ही मनुष्य को मनुष्य बनाता है। इसके अभाव में मनुष्य पशु के समान है। ऐसे व्यक्ति के जीवन के कोई अर्थ नहीं है। अतः वह मरे हुए के समान है।


(ड़) कवि ने हमारे विकास में प्रकृति के किन–किन उपदानो से प्रेरणा प्राप्त की है? किन्ही पांच बिंदुओं पर एक–एक वाक्य लिखिए।

उत्तर— व्यक्ति को आसमान की तरह ऊपर उठना चाहिए। सूरज की तरह महान बनना चाहिए। झरने की तरह आगे बढ़ना चाहिए। बादल की तरह मस्त रहना चाहिए। धरती की तरह नम्र होना चाहिए।


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