पाठ-12
हॉकी का जादूगर : ध्यानचंद

MP Board Class 5 Hindi Sugam Bharti Chapter 12 Hockey Ka Jadugar : Dhyanchand
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Textual Exercise
अनुभव विस्तार
प्रश्न 1. आलेख से खोजकर बताइए
प्रश्न (क) जोड़ी बनाइए -
उत्तर - (1)-(ग), (2)-(घ), (3)-(ख), (4)-(क)
प्रश्न (ख) रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए -
(1) दोनो टीम आपस मे ........ रही थी ।
(2) ध्यानचंद को बचपन से ही हॉकी खेल में ......... थी ।
(3) भारतीय टीम ने पाँच मैच खेले और पाँचों में ही ......... रही ।
(4) कप्तान ने कहा- "यदि तुम्हारे पास गेंद आये तो तुम ......... कर आना ।
उत्तर - (1) खेल, (2) रूचि, (3) विजयी, (4) गोल ।
अति लघुत्तरीय प्रश्न -
प्रश्न (क) निर्देश - निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्य में दीजिए -
प्रश्न 1. आप व्यायाम के लिए कौन कौन से खेल खेलते हैं ?
उत्तर - मैं व्यायाम के लिए क्रिकेट, फुटबॉल और कबड्डी खेलता हूँ ।
प्रश्न 2. ध्यानचंद का परिवार कहाँ आकर बस गया ?
उत्तर - ध्यानचंद का परिवार झाँसी आकर बस गया ।
प्रश्न 3. भारत और जर्मनी के बीच हुए फाइनल मैच में ध्यानचंद ने कितने गोल किए ?
उत्तर- भारत और जर्मनी के बीच हुए फाइनल मैच में ध्यानचंद ने चार गोल किए ।
प्रश्न 4. भारत सरकार ने ध्यानचंद को कौनसा पुरस्कार दिया ?
उत्तर - भारत सरकार ने ध्यानचंद को पद्मभूषण का पुरस्कार दिया ।
लघुत्तरीय प्रश्न
प्रश्न (ख) निर्देश - निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन से पाँच वाक्यों में दीजिये -
प्रश्न 1. ध्यानचंद प्रतिदिन शाम को पिताजी से मिलने क्यों जाते थे ?
उत्तर - ध्यानचंद प्रतिदिन शाम को पिताजी से मिलने इसलिए जाते थे की उन्हें इसी बहाने दोनो टीमों का देखने का मौका मिल जाए ।
प्रश्न 2. हिटलर ने हॉकी का जादूगर किसे और क्यों कहा ?
उत्तर - हिटलर ने ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर इसलिए कहा कि खेल में उनका प्रदर्शन अव्वल था । वे जादूगर की भाँति हॉकी का खेल खेल रहे थे ।
प्रश्न 3. ध्यानचंद के जीवन में सुनहरा अवसर कब व कैसे आया ?
उत्तर - ध्यानचंद के जीवन में सुनहरा अवसर उस समय आया जब वे एक बार मिलिट्री टीमों का हॉकी मैच देखने गए ।
एक टीम का गोलकीपर किसी कारण से नही आ पाया । उन्होंने उसके स्थान पर खेलने की इच्छा जाहिर की । कप्तान ने अनुमति दे दी । उस खेल में अभूतपूर्व प्रदर्शन ने उन्हें अच्छा अवसर प्रदान किया । बाद में उन्होंने ओलंपिक खेलों में अपनी टीम को विजय दिलाई ।
प्रश्न 4 ध्यानचंद सफलता के शिखर पर कैसे पहुँचे ?
उत्तर - अपनी लगन , मेहनत और निष्ठा के साथ खेलते हुए ध्यानचंद सफलता के शिखर पर पहुँचे । और विश्व प्रसिद्ध खिलाड़ी के रूप में जाने गए ।
प्रश्न - निम्नलिखित अनुच्छेद को पढ़िए -
संसार में प्रत्येक व्यक्ति के साथ संयोग-वियोग जुड़ा हुआ है । जिस प्रकार दिन के साथ रात का संबंध है, उसी प्रकार प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में सुख-दु:ख, लाभ-हानि, सम्मान-अपमान, यश-अपयश का संबंध है । कभी परिस्थितियां अनुकूल होती हैं, तो कभी प्रतिकूल होती हैं ।
प्रश्न - उपयुक्त गद्यांश में से विलोम शब्द को छाँटकर लिखिए ।
उत्तर - संयोग-वियोग, दिन-रात, सुख-दुःख, लाभ-हानि, सम्मान-अपमान, यश-अपयश, अनुकूल-प्रतिकूल ।
प्रश्न - निम्नलिखित अनुच्छेद को पढ़िए -
संसार में प्रत्येक व्यक्ति के साथ संयोग-वियोग जुड़ा हुआ है । जिस प्रकार दिन के साथ रात का संबंध है, उसी प्रकार प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में सुख-दु:ख, लाभ-हानि, सम्मान-अपमान, यश-अपयश का संबंध है । कभी परिस्थितियां अनुकूल होती हैं, तो कभी प्रतिकूल होती हैं ।
प्रश्न - उपयुक्त गद्यांश में से विलोम शब्द को छाँटकर लिखिए ।
उत्तर - संयोग-वियोग, दिन-रात, सुख-दुःख, लाभ-हानि, सम्मान-अपमान, यश-अपयश, अनुकूल-प्रतिकूल ।
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Chapter 12. हॉकी का जादूगर : ध्यानचंद